मैं बन जाऊं मास सावन का,
वो सोमवार सा हो जाय !
मैं जप ओम नमः शिवाय का,
वो गिनती 108 बार की हो जाय !
मैं सजूँ बेल पत्र सी तुम पर,
वो भांग धतूरे सा चढ़ जाय !
मैं अर्पित गंगा जल सी तुम पर,
वो चंदन पीला सा अर्पण हो जाय !
मैं श्रृंगारित फूलों सी तुम पर,
वो अभिषेक तुम्हारा हो जाय !!-
फिकी पड़ी इस जिंदगी को थोड़ा रंगीन करने आया हूँ 🌈
जल धारने आज स्वयं बाबाधाम आया हूँ💧
बोलो जय श्री महाकल ❤🔱🔥
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ऐ ज़मीं तेरे प्यार का असर दिखता है...
जब सावन में बादल रो रो के..
बरसता है-
सावन में सजनवा मूहँ फूला के बैठे है
सखी कोमल करेजवा को सता के बैठे है
माने न कहनवा बड़े कठोर बलम है जी
बरसात में भी हमको जला के बैठे है
शाम होने को है न आया अंगनवा में चांद
बहुत देर से हम खुद को सजा के बैठे है
जरा देखिए न जाके फलनवा के अंगना
कही किसी सौतन को गले लगा के बैठे है-
ये ख़ुदा मेरी हर लकीर मिटा दे
जो मैं लिख दूं वहीं तक़दीर बना दे,
हर बूंद अश्क से तेरा नाम लिख दूं "शिव शंकर"
तेरे ही दर पर फ़ना हो जाऊं वो फ़कीर बना दे..!
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प्रेम तपस्या,
पार्वती से बेहतर !
कोई नहीं,
जान सकता है !
औऱ,
प्रेम विरह,
शिव से बेहतर !
कोई नहीं,
समझ सकता है !!-
तकते तकते ये सावन,
आया है !
अब तुम न मुझसे यूँ राह,
दिखलाओ पिया !
🍃
इससे पहले की बरसे बरखा,
पहली वाली !
तुम भी वक्त पर आ जाओ,
न पिया !!-
जब मुझसे न संभले परिस्थितियां,
तो तुम संभाल लेना,
मेरे भोले !
🍁
जब कोई आस न बचे,
तब मेरी भक्ति का फल देना,
मेरे भोले !
🍁
मैं रख लूँगी व्रत 16 सोमवार का,
तुम मुझे वर ख़ुद जैसे ही देना !
मेरे भोले-
चाहे जितने सावन,
निकल जाए !
झूला तो न पड़ेगा,
मेरे आंगन !
जब तुम आओगे,
ठाकुर साहब !
सावन तो तब ही,
मनेगा हमारा !
तुम्हारे हाथों से,
जब पड़ेगा झूला !
तभी झूलेगी झूला,
ये प्रेयसी तुम्हारी !!-