..............मुसाफ़िर हूँ मैं...........
मुसाफ़िर हूँ मैं,
थकना लाज़मी है |
पल दो पल रुक कर
फिर बढ़ना लाज़मी है |
मैं कायर नहीं
जो हार मान लूँ,
मेरा हार कर भी जीतना,
ऐ ख़ुदा! लाज़मी है |
हँस कर मिलूं फिर,
ये मैं क्या कहूं!
सफ़र में हूँ मैं,
गुम होना लाज़मी है |
मुसाफ़िर हूँ मैं,
अब ठहरना नहीं है,
हर कदम आगे बढ़ना,
ऐ ख़ुदा! लाज़मी है |
-