You were the only one, my father
जिस उंगली को पकड़कर चलना सीखा,
आज उस उंगली को हमेशा के लिए खो दिया।
आपकी हर चीज अपने पास रखी है,
सामने नही हो, आप लेकिन आपकी मुस्कान हमे आबाद रखी है।।
आपने तो जिंदगी को जीना सिखाया था,
लेकिन अब तो हर एक दिन काटना पड़ता है।।
आपने कभी किसी चीज की कमी नही होने दी,
लेकिन आज मुझे आपकी कमी खल रही है पापा।।
जिनकी हाथो को पकड़कर चलना सिखाया,
कभी गिरने नही दिया,
और आज आप उसी हाथ को छोड़कर चले गए।।
मेरे पापा बहुत कमजोर सा महसूस करता हूं, अब
आपके जाने के बाद लौट आओ मेरे पापा,
नही लगता आपके बिन कुछ अच्छा,
मेरे पापा मेरे पापा... Miss you papa😔😔😔-
Ek arsa hua qaid huye tanhayi me
Ki ab khulne ko jee chahta hai.
Thak chuki hoon paro'n ko jabran
samet-te samet-te,
Ki ab udne ko jee chahta hai.
Gunahgaar hoon ! bohot suna hai maine
Kya khata thi meri maloom toh karoo'n,
Ki wapas mudne ko jee chahta hai.
Mujhko toote huye zamane guzre,
hoon shikasta ki ab judne ko jee chahta hai.
Muddatein huyi tumse bichde huye
Muddato'n se jeeti rahi,
Aao ke ab marne ko jee chahta hai.
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নেই কোনো রাগ,
নেই কোনো অভিমান,
নেই কোনো অভিযোগ,
মন অনেক আগেই ভেঙ্গে গেছে,
নেই আফসোস
যদি হয় কোনো দিন ''মৃত্যু''
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एक दिन थी जब मेरे मुसीबतों में ,
एक हाथ मुझे हमेशा थाम लेते थे।
आज मुसीबतों में चारों तरफ ढूंढती हूँ
मगर वह थाम लेने वाला हाथ कहीं नज़र नहीं आता ।-
Shikhayate to bhut h zindagi se par afsos dard- ae - dil ki sifaarish kis ke saath karu,
Jissey umeed thi zindagi bhar saath nibhaane ki
Aaj vahi humme ajnabi samjha karti h-
ਹੱਸ ਕੇ ਜੀਣਾ ਬਣਾ ਲੈ ਦਸਤੂਰ ਜਿੰਦਗੀ ਦਾ
ਦਰਦ ਤੇ ਠੋਕਰਾਂ ਕਿੱਸਾ ਮਸ਼ਹੂਰ ਜਿੰਦਗੀ ਦਾ
ਓ ਬੀਤੇ ਪਲ ਕਦੇ ਮੁੜਦੇ ਨੀ ਸੱਜਣਾਂ
ਇਹੀਓ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਕਸੂਰ ਜਿੰਦਗੀ ਦਾ-
न हूं कुदरत ए करिश्मा ना ही कोई खास हूं मैं
जो कभी पूरी ना हो सकी वहीं अधूरी आश हूं मैं
दोस्ती यारी उनसे करो जिसमें जिंदगी बाकी हो
छोड़ दो मुझे तन्हा कि कोई ज़िंदा लाश हूं मैं
जीतेजी जिसने हर लम्हा तरपाकर मारा है मुझे
इस बेवफा ज़िन्दगी से ए खुदा बहुत निराश हूं मैं
मुझे दरिया समझ बैठने की गलती मत करना
समंदर हूं बुझ ना पाऊंगी कभी वही प्यास हूं मैं
उसका सब कुछ निचोड़ जो कर देते हैं किनारा
छूटती जा रही सबसे कोई दम तोड़ती सांस हूं मैं
मेरे करीब मत आना कोई खुशी की चाहत लेकर
खुशी पास नहीं आती मेरे गमों की आवास हूं मैं
-Sushmita Bhagat
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उनसे दूरियां तो मैं सह भी लूं...
उनकी खामोशी में सहूँ कैसे ये बता दे कोई.…
इस दिल में वो आज भी रहते हैं,
मेरे दिल का पता उन्हें जाकर बता दे कोई.....
कि उन्हे भुलाना तो अब मुमकिन नहीं,
ऐ काश कि मेरी याददाश्त ही मिटा दे कोई.....
उनकी नाराज़गी में भी प्यार ढूंढता है ये दिल,
हर बार टूट कर उनके नाम से जुड़ जाता है ये दिल,
वो तो इस दिल में ही रहते हैं,फिर चुप रहकर,
वो खुद को सज़ा देते हैं क्यों ये बता दे कोई.....
मेरी रूह ना जाने क्यों उनसे मिलने को तड़पती है,
ये तड़प ना मुझे जीने देती है ना मुझे मरने देती है,
यूँ घुट-घुट कर कब तक जिऐ ये बता दे कोई...
इन उम्मीदों से तो मेरा कोई वास्ता नहीं है,
फिर क्यों चली आती है ये मन को झूठा दिलासा देने,
ऐ काश कि इन उम्मीदों को आग लगा दे कोई.....
यूँ तो उनका जाना किसी हादसे से कम नहीं था,
ऐ खुदा एक हादसा ऐसा भी हो जो इस दुनिया से मिटा दे मुझे,
फिर हमेशा के लिए याद बनकर उनके सीने में रह जाऊं कहीं.....
ये खबर मेरी कब्र पर आकर मुझे बता दे कोई...
जिस जगह मेरी कब्र बनी हो,उस जगह का पता उन्हें जाकर बता दे कोई....
उनसे दूरियां तो सह भी लूं....उनकी ख़ामोशी सहूँ कैसे...ये बता दे कोई..💔-