हम घड़ी साबुन से भी बुरे है क्या आपके लिए,
आपने इस्तेमाल तो किया मगर विश्वाश नहीं किया।।-
मै उसकी तौहीन कर रहा हूं
जो खुद ही एक किताब है
मै उस पर कविता लिख रहा हूं
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जब से मिले हो तुम ख्वाइसे कम, चाहते बढ़ती चली गई।
सो नखरे करने वाली, उसके सामने बत्ती गुल होती चली गई।
किसी की न मानने वाली, उसकी हर बात को हा में हा करती चली गई।
ख्वाबो की वो लड़की, हकीकत में बदलती चली गई।-
वो तो मुझे बहुत चाहता था लेकीन।
उसे चाहने की इजाज़त न दे सकी थी मैं।
हद से ज्यादा हक जमाना चाहता था वो मुझपर।
लेकिन उसे वो हक देने की हकदार भी न बन सकी थी मैं।
उसके साथ गलत हो रहा हे मुझे मालूम था लेकीन।
फिर भी उसका साथ न दे सकी थी मैं।-
दिल कि बाते बोलकर,मन कि गिरहे खोल दो।
रीति रिवाज को छोड़कर, दिल का नाता जोड़ दो।
प्यार कि बाहें खोलकर, जिंदगी कि राहें मोड़ दो।
दोस्तो को ऐसी पिलाओ कि वो बोले, ओर दो ओर दो।-
ऐ ज़िंदगी
मुश्किलों के सभी को सदा हल दें..
थक ना सके कोई, फुर्सत के ऐसे कुछ पल दे..
दुआ है दिल से सबको सुखद आज और बेहतर कल दे.....
NEELESH
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दिवाली में बसे अली, राम बसे रमजान में।
अब सब मिलकर जिलों जिंदगी।
एक दिन चले जाओगे
कब्रस्थान या शमशान में।-
नसीब नसीब की बात है मेरे दोस्त,
कोई नफरत करके भी प्यार पाता है।
और कोई बेहिसाब प्यार करके भी,
अकेला रह जाता है।-
में बताऊं मुझे कितना फर्क पड़ता है
मुझे बस इतना फर्क पड़ता है।
बादल गरज रहे है, बिजली चमक रही है
और मैं बिना आशियाने के हु
बस इतना फर्क पड़ता हैं।
दिल कि बाते होटों तक आती है, आंखें नम हो जाती हैं
बस इतना फर्क पड़ता हैं।
अकेले में खुदसे बाते कर लेता हु, बाते करते करते रो देता हु
बस इतना फर्क पड़ता हैं।
जहा सारी दुनिया खुशियां मांगती हैं, वहा में उसे मांगता हु
बस इतना फर्क पड़ता हैं।-