हाथ में मेरे ऐसी कोई रेखा नहीं,
कोई स्वप्न नही जिसमे देखा नहीं ।
पीर हृदय की नैनो में दिखने लगी ,
किंतु तुमने तो नैनो को देखा नहीं ।।
नीलेश कुमार-
पूनम की रात में मैंने अंधेरे देखें है,
आज सैकड़ों लोग उसको घेरे देखें है ।
और इससे बुरा मैं क्या देखूंगा ज़िंदगी में ,
आज अग्नि के सामने मैने उसके फेरे देखें है।-
मतलबी यार जैसी लगती है
जिंदगी उधार जैसी लगती है
लोग यहां सच्चे नहीं है
हम भी अब बच्चे नहीं हैं-
गर दुआएं मिले बाज़ार में तो उन्हे खरीद लाए,
जीवन में उसके अब कोई तो नई उम्मीद आए,
रात और नींद पे हक यकीनन सभी का है लेकिन
मेरे हिस्से में जागना और उसके हिस्से में नींद आए-
आज अगर मैं रो रहा हु तो क्या हुआ,
हर सिक्के के साहब दो पहलू होते है।-
घूंट घूंट पी रहा था शौक से शराब
अब शराब मुझे ही घूंट घूंट पी रही है-
हमारे प्यार के किस्से, और मेरे इश्क की कहानी
बस इतना कहूंगा बो मेरी जान थी।
इश्क मुकम्मल न हुआ इस बेमुरब्बती दुनिया में
मैं लड़का हिंदू का और बो मुसलमान थी।।-
इस चल रहे दौर का माहौल कुछ ऐसा है
इंसानियत से बढ़कर कुछ लोगों के लिए पैसा है,-