That's why we were
demanding Bharat Ratna
for Ajit Doval Sir🧡🇮🇳-
बहुत पिया नीबूं पानी कोई और दवा बनाओ वैद्य
चाहत का नशा है उतरता ही नहीं कोई जड़ी बूटी पिलाओ वैद्य
चाहत की चिता जालाओ वैद्य, मौत की सजा सुनाओ वैद्य
हे धरा के ईश्वर अनिल को कोई बूटी पिलाओ वैद्य-
उसको उतारने के वास्ते मैंने इतनी जाम पीली,
की कब्रिस्तान में भी मुझे मयखाना नजर आने लगा है!-
Nasediyon si harkat hogyi h apni,
Din ho ya raat nashe me rehta hun.
saraab ka ye nsaa nhi,mujhe sharabi naa samajhna,
Ye to teri yaado ka nsaa h ,
Tere jane k baad isme hi kahi khoya rehta hun..
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रहता तो नशा तेरी यादों का ही है,
कोई पूछे तो कह देता हुँ पी रखी है-
नशे में जमाना और जमाने में हम हैं
पांच लोगों को बुला कर
एक ही बोतल लाया
और हमें कहता है कि आप पीते कम है-
नहाते तो सभी है मगर बारिश में भीगने का मज़ा ही कुछ और होता हैं, औंठो से तो सभी पीते है आँखों से पीने का नशा ही कुछ और होता हैं
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तू शायर की एक सायरी सी...,
मानो तो शब्दों का भंडार है!
मानो तो एक कशमकश भी ...,
जिस पर एक नशे का बुखार है!!-