मर्यादा की सीमाओं को तुम रोज लांघने वाले हो
हर रोज नयी बाहों में हर रोज जागने वाले हो
एक है दाता एक भिखारी तो फिर कैसे इश्क बढ़े
मैं प्रेम बांटने वाला हूं तुम प्रेम मांगने वाले हो-
12 SEP 2021 AT 14:26
21 APR 2021 AT 20:36
आज़ भी झलकता है रस्मों में, जो हर हिन्दुस्तानी ने युगों युगों से पहना है l
सहज कर रखा है हर पीढ़ि नें, वो प्रेम, संस्कार, मर्यादा सबसे कीमती गहना है l-
30 DEC 2018 AT 13:15
मैं अकेली हूँ
मेरा "मैं" मर्यादित है
हुनर का पर्दा है
सामने किरदार है
प्रतिभा है,विचार है
स्याही मेरी शान है
अपना भी अलग ही
अभिमान है।-
13 AUG 2020 AT 9:30
मेरे इश्क़ का श्रृंगार है मेरी मर्यादा
और मेरे इश्क़ को श्रृंगार पसन्द नही-
3 OCT 2020 AT 9:32
क्या फायदा रामराज लाने का,
जहां ना कोई राम ,ना कोई मर्यादा,
जहां न्याय पर हो राजनीति, इंसानियत हो जारजार ,
वहां कैसे हो रामराज,-
10 AUG 2024 AT 12:00
आधुनिक भी दिखो और मर्यादा भी रहे...!😊
श्रृंगार भी करो और संस्कृति भी बनी रहे...!!🫶🏼-
12 JAN 2021 AT 21:18
बेशक,
अपने विचारो से हमेशा आज़ाद रहिए
लेकिन
अपने संस्कार और मर्यादा से
हमेशा बंधे रहिए-
9 NOV 2020 AT 11:02
Maryada kabhi todna nhi chahiye
Chahe wo baton ka ho ya riston ka ho
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