खून से लथपथ बेटी में लोग शर्म देखते है।
कुत्तों की बिरादरी का भी लोग धर्म देखते है।
#JusticeForDivya
-
इक शहजादी बोल कर आपने क्या गजब कहा..
पर जमाने को क्यों ना ये सहा गया..
जो सुन कर रूह सहम उठी क्या तुमने नहीं सुना..
शहजादी तो रहती है परदो के दरमिया..
खैर जाने दो ये हर बार का है वाकिया..
महज चिरागों के रोने से होती नहीं वफा.
उम्मीद है बस दरिन्दों को होगी फाँसी की सजा..-
Just like sensible fans prefer football,
instead of Messi or Ronaldo, be a sensible citizen, don't quarrel over who's right or wrong,
prefer peace prefer peace!-
Zalim ne aaj phir hawainiyat dikhayi hai.
ek aur bahan ki arthi logo ne uthai hai-
एक मुल्क था जहां बेटियां भगवान थी
एक मुल्क है जहां बेटियां शिकार है
एक मुल्क था जहां बच्चे भविष्य थे
एक मुल्क है जहां बच्चे भूके है
वो मेरा घर था जिस्पे मुझे नाज़ था
वो मेरा घर है जहां मै अनजान हूं
कब लगेगी आग सीने मे देखना है
शायद कुछ खोने का इंतजार है
वो मेरा मुल्क था जहां हम इंसान थे
वो मेरा मुल्क है जहां हम हैवान है
वक़्त आयेगा सब संभल जाएगा
बस इसी सोच के हम बीमार है
-
#justice_for_twinkle
#justice_for_nirbhaya
#justice_for_zainab
#justice_for_asifa
#justice_for_sanskriti
#justice_for_geeta
And so on...
R.I.P. HUMANITY
#justice_for_humanity-
Insaaniyat ka phir se wo apmaan kar gaye...
Hañste hañsaate ghar ko wo veeraan kar gaye!
Ek aur beti mulk ki, darindoñ ne maar di...
Shaitaañ na kar sakaa jo wo insaan kar gaye!!
इंसानियत का फिर से वो अपमान कर गए...
हंसते हंसाते घर को वो वीरान कर गए।
एक और बेटी मुल्क की दरिंदों ने मार दी...
शैताँ न कर सका जो वो इंसान कर गए।
#JusticeForSanskriti-
फिर से एक बार candle march निकाला जाएगा..
मोमबत्ती लिए वो rapist भी वहां आएगा..
अब तो समझ जाओ..
कम से कम अपने घर में बदलाव लाओ...-
मैं पहनूं बुरका,या साड़ी,
या फिर पहनूं सलवार...
हो उम्र 6महीने की,
या फिर हो 70पार...
हर बार तो दोषी मैं ही हूँ,
हर हाल में होती दरिंदगी का शिकार...
(Plz read caption for full poetry)
#justiceforsanskriti
#justicefordivya
-
संस्कृती बदल गयी है मेरे देश की
संस्कृती घायल पडी है मेरे देश की
संस्कृती एक मर ही चुकी है मेरे देश की
संस्कृती थी कभी जो मान सम्मान की
आज मिट्टी है मेरे देश की
इतनी चुप्पी इतना सन्नाटा
हुकूमत भी कुछ कहती सुनती नहीं मेरे देश की
आसिफा का दर्द अब संस्कृती बन गया
बस यही बदकिस्मती है मेरे देश की-