ख्वाब
एक सपना है,
जिसमें एक छोटा कायनात अपना है।
जहा ना भीड़ है तरकी की,
ना पैसों का ख्वाब है,
बस चैन है सुकून है, और खुसियो का तालाब है
ना फ़िकर है किसी चीज की,
ना गमो का सैलाब है,
एक ऐसी बड़ी दुनिया मैं
बहुत छोटा पर मेरा ये ख्वाब है।
एक ऐसी दुनिया,
जहा ना जीत हो,ना हार हो।
वाह खुसियो की बहार हो।
ना नफरत का अंधकार हो
जहाँ सिर्फ़ प्यार ही प्यार हो
चाहे छोटी हो वो दुनिया पर,
वहा उम्मीदों की कीलकार हो
ख्वाब मे ही सही पर ऐसा एक संसार हो।
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हर खेत, हर गाँव, हर शहर, का मौसम खुशहाल हो जाए..
कुछ ऐसा कर खुदा ,कि ऐसा हमारा साल हो जाए..-
मैं शाहों में कभी अपना शुमार नही करता
क्योंकि मैं ज़िन्दगी पर एतबार नही करता
करता है कोई बदनामी तो उसे सह लेता हूँ
यूँ किसी की इज्जत को बाज़ार नही करता
देखता हूँ अपनो को मोहब्बत की नज़र से
खड़ी रिश्तों में कोई भी दीवार नही करता
जितना हो सकता है बचा लेता हूँ ख़ुद को
रायेगां किसी से यूँही तकरार नही करता
परेशां मुझसे हो कोई तो दूर हो जाता हूँ
जीना किसी का कभी दुश्वार नही करता
ख़ुशी में शामिल सबको करता है 'साजिद
पर ग़म में किसी को हिस्सेदार नही करता-
हमको दुनिया-ए-जहान ने परखा
एक एक करके हर इंसान ने परखा
हमारी ख्वाहिशें ही हमको ले डूबीं
दिल के हर एक अरमान ने परखा
दिल को भाने लगी थी जब तन्हाई
ख़ुद हमको हमारी जान ने परखा
ये कदम पड़े जब जमीं पर हमारे
खोलकर दिल आसमान ने परखा
अपने तो पहले से ही थे ख़िलाफ़
हर राहगीर और अंजान ने परखा
कैसे ज़माना आ बैठा है 'साजिद'
दिल मे आये हर मेहमान ने परखा-
एक यही तो काम ता-उम्र हम करते रहते हैं
ज़िंदा दिखने के लिए अंदर से मरते रहते हैं-
हर तरफ दिवाली की खुशियां ही खुशियां छाई है .. समझ में नहीं आता ,
फिर किसकी बेटी सड़क पर भीख मांगने आई है...-
इस ज़िन्दगी को ऐसे गुज़ार देंगे हम
तुम्हारी तस्वीर दिल मे उतार देंगे हम
महफूज़ रखेंगे तुम्हे दिल मे छुपाकर
हद से भी ज्यादा तुम्हे प्यार देंगे हम
हमे देखके तुम भी मुस्कराया करना
मुस्कुराकर तुम्हे भी दीदार देंगे हम
हमारी कोई चाहत तुम्हे सही न लगे
यकीनन ऐसी चाहत को मार देंगे हम
किसी ने पूछा ख़ुशी का सबब हमसे
उस वक़्त तुम्हारा नाम पुकार देंगे हम
बस इतना सा कहो तो मैं मुक़म्मल हूँ
साजिद तुझपर दिल जाँ वार देंगे हम-
पेश है एक नज़्म जिसका उन्वान है (((मेरा खत फाड़ दिया उसने)))
एक अलवेली सी और मस्तानी थी वो
ख़ूबसूरती की एक निशानी थी वो
जब भी कदम उठाती थी बल खाती थी
नैन ही नैन चैन चुराती थी
देख कर हमको वो शर्माया करती थी
किसी काम से जब भी गली में वो आया करती थी
उसकी मुस्कराहट को ही प्यार समझ बैठे
क्यों उस हसीना को हम अपना यार समझ बैठे
अपना चैन सुकून सब कुछ बार दिया हमने
लिया कागज़ और हाल-ए-दिल कलम से उतार दिया हमने
पहुँचाया खत तो पता लगा वो किसी और के सपने सजाती थी
उसकी आदत थी मुस्कुराना और सभी को देखकर वो मुस्कुराती थी
बना था उम्मीद का आशियाँ वो उजाड़ दिया उसने
मिला जो खत उसे मेरा वो खत फाड़ दिया उसने
वो खत फाड़ दिया उसने-
एक तरफ़ा इश्क़ तकलीफ देता है
एक ख्वाब का समन्दर जो दिल को सुकून देता है-