अपने हौसलों को रखना तू बुलंद मंजिल आज नहीं तो कल तुम्हारी ही होगी
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है अगर इश्क ,तो आंखो में नजर आना चाहिए,
आंखो के रास्ते ,दिल तक उतर जाना चाहिए।-
"खुदको भीड़ बीच में जो खड़ा पाता हूं मैं,
अपने और मूल को पीछे छोड़ने की सज़ा पाता हूं मैं "
ममता की छांव , अपना वो गांव,
कोयल की बोली,वो बच्चों की टोली,
जहां रोज होली संग हंसी ठिठोली,
अपना वो गांव,अपना वो गांव।
मन में ना भय,ना कोई संशय,
ना कोई विवाद,ना ही अवशाद,
अपना वो गांव,अपना वो गांव।
आबाद होने की चाहत,दूर करते गई राहत,
अब देखते हैं शक्ल ,धूमिल होती जा रही अक्ल,
शहर की चाह ,वो अंधुरिनी आह,
सबको अपनी परवाह अकेलापन है जिसकी गवाह,
अपना वो गांव ,ममता की छांव ।।
निकलते हैं घर से लेके सपने हज़ार,
सपनों की होड़ में छूट जाते दोस्त,यार ,परिवार ,
अपना वो गांव,ममता की छाव।
ब्रजेंद्र दिवाकर
07/10/2018
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बेहन का प्यार क्या होता है
मैंने कभी जाना ही नही
काश मेरी भी कोई बेहन होती
जो केहती में हु ना अब आंसू बहाना नही
उदास था जब में
भाई केहकर मुझे किसी ने एहसास दिलाया
हम है ना तुम्हारे साथ उदास अब हो जाना नही
एक बेहन के बदले दो मिल गयी मुझे
दूआ बस इतनी सी है भगवान
मिल जाये लाख गम जिंदगी में
मेरी बेहनो के जीवन में दूख कभी लाना नहीं
खून का नही खून से बढकर रिश्ता हैं हमारा
हालात कैसे भी हो जिंदगी में
भाई को अपने कभी भूल जाना नहीं.-
हाल-ऐ-दिल तेरा वो तेरी
आँखों से पहचानती है।
शायद ये वो है जो तुझे
तुझसे ज्यादा जानती है।-
अब तो वो भी मतलबी होने लगे हैं...
हमें भी अब वो भूल जाने लगे हैं।।।-
खुद टूट कर तुम्हें हुबहू जोड़ दे
हम
डर है ग़र तुम
कहीं बदल से
गए तो
फिर मुझे समेटेगा कौन-
जिक्र से भी रात कटती नही
अब मेरी
बड़ी लंबी आरज़ू थी तुझसे
बस अब तुम्हारे ख्याल बचे हैं-