पुराने साल का ये आखिरी दिन
मानो हैं हमारी उम्मीद का आखिरी दिन |
विरहा की अग्नि में पल पल जलती
बुझते चिराग़ों का हैं आखिरी दिन |
शिकवें शिकायतों को भूल कर
तुम्हारें रूठने मेरे मनाने का आखिरी दिन |
तुम लौट आने का इरादा तो करो
सुनो ये दिसम्बर का हैं आखिरी दिन |
तुम आकर सीने से लग जाओ
तो मनाए खुशी से साल का आखिरी दिन |
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हर 31 दिसंबर को
शराबी ऐसे पीते हैं
जैसे आखिरी बार
पी रहे हों...नये साल
में कभी हाथ भी न
लगाएँगे
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शीर्षक : ये 31 दिसंबर
क्या मेरी तरह तुम्हारे भी जेहन में आया कभी ये ख्याल ,
31 दिसंबर का आखिरी पल अपने साथ कैसे ले आता है सबके लिए एक नया साल।
दिसंबर से जनवरी तो मात्र एक ही पल में आ जाते हैं,
लेकिन जनवरी से दिसंबर आने में तो 11 महीने लग जाते हैं ।
हर दिवस की रात्रि तो बस अपने साथ एक नयी सुबह लेकर आती है ,
पर ये 31 दिसंबर की रात्रि तो अपने साथ नयी सुबह और नया साल दोनों देकर जाती है।
और देखो जाते-जाते भी हम सबकी झोली नयी खुशियों और नयी उम्मीदों से भर जाती है ,
वो अपना तो बस हमें खट्टी - मीठी पुरानी यादों का एक गहरी परछाई दे जाती है।
लगता जैसे अंत ही एक नई शुरुआत की राह हम सबको दिखा रहा है,
अपनी हमेशा की जुदाई में भी हर एक को सुकून का अहसास दिला रहा है ।
ये दिसंबर और जनवरी का एक - दूसरे से बहुत ही अनोखा , अनुपम , अद्वितीय नाता है,
जब दोनों पास आते हैं तो साल बदल जाता है और जब दोनों दूर जाते हैं तो हाल बदल जाता है।
कहने , देखने , सुनने के तो ये दिसंबर और जनवरी महज दो महीने है एक साल के,
पर ये दोनों अन्य सभी महीनों को अपने से एक डोर में बांधकर रखा है ,
दोनों ही अपनी मिलन और जुदाई के इस अनुपम पल सबके लिए एक त्यौहार बना रखा है।
क्या मेरी तरह तुम्हारे भी जेहन में आया कभी ये ख्याल ,
31 दिसंबर का आखिरी पल अपने साथ कैसे ले आता है सबके लिए एक नया साल।
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वो आया था
जनवरी की हसरतों की तरह,
और मायूस कर गया
जाते दिसम्बर की तरह।
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दिन, महीना, साल यूँही बदल जाता है
पर जो खुद में सही बदलाव लाता है वही
अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ पाता है
जो लक्ष्य बनाया था उसे जीत पाता है।।
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