जाने क्या लिखता मिटाता रहता हूँ
कभी कुछ जोड़ता घटाता रहता हूँ
जाने कौन बिखेर जाता है ख़यालों को
कलम से अपनी इन्हें हटाता रहता हूँ-
हटा के देखो कभी इस शोर से खुदको,
बहुत सुकून हैं खुद में जीने में।।-
अक्सर प्रेमी वो होते हैं,
जो आपके और प्रेम के बीच आ जाए,
मगर प्रेमी तो वो होना चाहिए
जो आपके और प्रेम के बीच आने वाले को हटाए।-
शर्म और हया के पर्दे से
उठकर पहचान बनाई
तो क्या पहचान बनाई
इससे तो बेहतर है
चुल्लू भर पानी में
डूब मर जाना-
ऑंखे हैं या तलवार की धारे
चलते-फ़िरते ज़ुल्म करती हो
यू रुख़ से पर्दा हटाना अच्छा नहीँ
हमनें तो सिर्फ़ नाम पूछा था
यू नजरें झुका के
मुस्कुराना अच्छा नहीँ-
उसकी तस्वीर दिल से हटाना अब जरूरी हो गया है
यादें मिटाना, उसको भुलाना अब जरूरी हो गया है
उसकी मोहब्बत का बोझ सर पर कब तक उठा के रखता
बोझ भारी है, तो सर से गिराना अब जरूरी हो गया है
उसकी बेवफाई को हर पल झांकती है आवारगी मेरी
इस आवारगी को इक ठिकाना अब जरूरी हो गया है
हवा के इक झोंके ने तोड़ दिया दिल के मकान को
सब भूलकर एक नया घर बनाना अब जरूरी हो गया है
हाथ की किसी लकीर में शायद लिखा था प्यार तेरा
ये बात हंस कर भूल जाना अब जरूरी हो गया है
इश्क में खुद को भूल बैठा था, खुद से मिलना है मुझे
अपने को अपने से मिलाना अब जरूरी हो गया है-
पर्दानशीं है जो ज़ख़्म मेरा
उससे पर्दा ना कभी यूं उठाया करो,
ग़र थाम नहीं सकते दरिया
अश्क़ का,तुम मुझे रुलाया ना करो,
माना कि तेरे ख़ाबों का शहर आब़ाद
बहुत है,मगर तुम मेरे बर्बाद बस्ती में
दीया उम्मीद की जलाया ना करो,
छोड़ दो मुझे यहाँ मेरे हाल पे यारों,
मैं अपने हर हक़ीक़त से वाक़िफ़ हूँ,
ख़ुद हीं संभल जाऊँगा हर ठोकरों से,
मुझे ख़ाबों का शहर दिखाया ना करो ।-
भूल जाने के लिए कोई हिम्मत की जरूरत नही न मशक्कत करना जरूरी....बस एक ठंडी गहरी सांस और ध्यान हटा लिया ..😊😊😊
कुछ भी भुलाया नही जा सकता ..मानस पटल से, केवल हटाया जा सकता है सरकाया जा सकता है गहन अवचेतन में, विस्मृत नही होता कुछ भी आप बहला लेते हो मन को बस!!!
#मनु-