दिल-ए-बंजर की जंग में
रियासत आपकी हुई,
सियासत-ए-मुहब्बत में
दिल का कत्ल-ए-आम ही सही।-
जिस जंग में बादशाह की जान को खतरा न हो
उसे जंग नहीं सियासत कहते हैं.
मेरे देशवासियों सिर्फ इतना समझ लो-
फैसला आगया हे
अब आपसी फासलों की फ़िक्र कीजिए..
कुछ ना रखा सियासी जगडो में
बस इंसानियत का ज़िक्र कीजिए..-
फलसफा समझो न असरारे सियासत समझो
जिन्दगी सिर्फ हकीक़त है हकीक़त समझो
जाने किस दिन हो हवायें भी नीलाम यहाँ
आज तो साँस भी लेते हो ग़नीमत समझो..❤️❤️-
दौर-ए-सियासत इस क़दर वतन में आया है!
कर दिया उसने जो उसके मन में आया है!
मज़हब पे निसार हो रहे, छोड़ ग़रीबी, भुखमरी;
देखो नफ़रत का भाव कैसे, अब जन-जन में आया है!!
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पहन के स्वेटर, वो ओढ़कर शाल भी आएंगे!
देखना, चोर शराफ़त की ओढ़े खाल भी आएंगे!
पड़ेंगे पैर, गिड़गिड़ाएंगे भी, एक मत की खातिर;
ज़रा बचना, वो झूठी बातों का लेकर जाल भी आएंगे!!
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यूँ ही झूँठी दलीले गिनाना छोंड़ दो
हमारे सब्र को आजमाना छोंड़ दो
खुल गई है पोल तेरे दरियादिली की
उसे हर दफा गिनकर बताना छोंड़ दो-
ख़्वाब बड़े-बड़े दिखा कर अपना काम लेता है!
दर पर आता भी और बड़ी इज़्मत से नाम लेता है!
शराफ़त दिखाता वो ऐसे, जैसे पाकीज़ा बहुत है;
फेंककर जाल वो हम पर, अपना मकाम लेता है!-