बड़ा ख़ूबसूरत वतन कह रहे हैं!मग़र लोग क्यों ग़म-ज़ख़म सह रहे हैं!न पूछा किसी ने, किसी ने न सोचा;हवा बह रही सारे जन बह रहे हैं! -
बड़ा ख़ूबसूरत वतन कह रहे हैं!मग़र लोग क्यों ग़म-ज़ख़म सह रहे हैं!न पूछा किसी ने, किसी ने न सोचा;हवा बह रही सारे जन बह रहे हैं!
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सयाने लोगों के दिलों में, मैंने देखा है 'आफ़ताब';मुल्क़ से मुहब्बत है मग़र मुल्क़ के लोगों से नहीं! -
सयाने लोगों के दिलों में, मैंने देखा है 'आफ़ताब';मुल्क़ से मुहब्बत है मग़र मुल्क़ के लोगों से नहीं!
मेरे लिखने औ कहने के 'रवि' तेवर हैं विद्रोही;मेरी ये ख़ासियत मेरी विरासत की निशानी है। -
मेरे लिखने औ कहने के 'रवि' तेवर हैं विद्रोही;मेरी ये ख़ासियत मेरी विरासत की निशानी है।
सच को सच कहते हैं, गोली-तलवार से नहीं डरते।सच्चे लेखक-शा'इर हाक़िम-सरकार से नहीं डरते। -
सच को सच कहते हैं, गोली-तलवार से नहीं डरते।सच्चे लेखक-शा'इर हाक़िम-सरकार से नहीं डरते।
नई इक ज़िन्दगी की इक नई शुरुआत होती है।सही और झूठ में हर झूठ की ही मात होती है।विचारों से भरीं हरदम हमारा साथ देती हैं;किताबों से मुहब्बत में अलग ही बात होती है। -
नई इक ज़िन्दगी की इक नई शुरुआत होती है।सही और झूठ में हर झूठ की ही मात होती है।विचारों से भरीं हरदम हमारा साथ देती हैं;किताबों से मुहब्बत में अलग ही बात होती है।
फ़क़ीरी में रहो पर क़ीमती सामान रक्खो तुम।लबों पे हर घड़ी अपने हँसी-मुस्कान रक्खो तुम।मुसीबत और ग़म तो ज़िन्दगी में आम बातें हैं;दिलों में हौसले रक्खो, नये अरमान रक्खो तुम। -
फ़क़ीरी में रहो पर क़ीमती सामान रक्खो तुम।लबों पे हर घड़ी अपने हँसी-मुस्कान रक्खो तुम।मुसीबत और ग़म तो ज़िन्दगी में आम बातें हैं;दिलों में हौसले रक्खो, नये अरमान रक्खो तुम।
माना कि अभी अपना कोई दौर नहीं है।ज़ुल्मों को सहते रहना सही तौर नहीं है।मिन्नत, ख़ुशामद, अर्ज़ी फ़िज़ूल हैं सभी;बगावत के सिवा रस्ता कोई और नहीं है। -
माना कि अभी अपना कोई दौर नहीं है।ज़ुल्मों को सहते रहना सही तौर नहीं है।मिन्नत, ख़ुशामद, अर्ज़ी फ़िज़ूल हैं सभी;बगावत के सिवा रस्ता कोई और नहीं है।
मिरी आँखों में आए आँसुओं का ये इशारा है।किसी ने भी नहीं मुझ को उसी के ग़म ने मारा है।कोई पूछे कि क़ातिल कौन है तो ये बता देना;मेरी मैयत पे जिसने रेशमी कपड़ा पसारा है। -
मिरी आँखों में आए आँसुओं का ये इशारा है।किसी ने भी नहीं मुझ को उसी के ग़म ने मारा है।कोई पूछे कि क़ातिल कौन है तो ये बता देना;मेरी मैयत पे जिसने रेशमी कपड़ा पसारा है।
मेरे हिस्से का क़ीमती सामान टूटता है।रोज ही मेरे सर पे आसमान टूटता है।चलो सब्र रखके सादगी से देखते हैं 'आफ़ताब';कि कब तलक उस मग़रूर का गुमान टूटता है। -
मेरे हिस्से का क़ीमती सामान टूटता है।रोज ही मेरे सर पे आसमान टूटता है।चलो सब्र रखके सादगी से देखते हैं 'आफ़ताब';कि कब तलक उस मग़रूर का गुमान टूटता है।