Rakesh Tiwari   (Rakesh Tiwari)
4.2k Followers · 7 Following

कभी खिड़की कभी दरीचों से सीख लिया करते हैं
जज़्बात पिघलते हैं और हम लिख लिया करते हैं।
Joined 19 January 2017


कभी खिड़की कभी दरीचों से सीख लिया करते हैं
जज़्बात पिघलते हैं और हम लिख लिया करते हैं।
Joined 19 January 2017
7 APR 2020 AT 2:52

डायरी में लिपटा पुराना गुलाब मिला,
जो खरीदा तो था, पर दिया ही नहीं था।

ख़यालों से निकल कर हकीकत हो जाए,
ऐसा इश्क़ तो हमने कभी किया ही नहीं था।

-


7 APR 2020 AT 2:27

रात भर जागने पर,
या सुबह की पहली पहर।
लगे के ज़िंदगी अब भी वहीं है,
जी तो रहे हैं ,पर जीना नहीं है।

तो मानलो ,के ये तुमसे कह रहा हूँ,
मैं भी इसी कशमकश में रह रहा हूँ।
ये सोचने वाले तुम पहले नहीं हो,
हम सभी तन्हा है यहाँ, तुम अकेले नहीं हो।

तो क्यों न हर रोज़ ,बिना अफसोस के वक़्त काट लें,
कुछ तुम कहना, कुछ हम, चलो ये दर्द बाँट लें।

-


1 APR 2020 AT 4:34

Bohat zyaada waqt,
Guzar Jaane ke baad...
Bohat zyaada waqt lagta hai,
Ye samajhne ke liye..
Ke ab Bohat zyada waqt Baaki nahin hai

-


15 SEP 2019 AT 13:16

आस-पास के बागीचों पर,
पंखों में हवाएँ भर,
उड़ती है तितलियाँ और पंछी मगर,
कहाँ उन पर ध्यान एक बार जाता है।

हैं ये सभी इसी शहर में बसते भी
कुछ दोस्त हैं और रिश्ते भी,
शायद यही बताने के लिए रविवार आता है।

-


15 SEP 2019 AT 1:57

कैफे वाली लड़की...

एक बड़े से शहर के,
खूबसूरत चौराहे पर,
साँकरी गली के पीछे,
मशहूर कैफे के अंदर,
सबसे आखरी कोने में,
मद्धम रौशनी में नहाए,
चमकते टेबल पर हाँथ रखे
गर्म कॉफी को घूरते,
अजनबी सी वो लड़की..
जाना पहचाना इंतज़ार,
कॉफी के ठंडा होते ही,
खत्म होती है, उम्मीदें,एक डायरी, बोहत कुछ....💐

-


14 SEP 2019 AT 23:27

हिंदी भाषा का वर्चस्व बढ़े, इसके आगे आए कोई कर्म नहीं, कोई धर्म नहीं।
हिंदी दिवस उस क्षण में है,जब हिंदी बोलने में आए आपको शर्म नहीं।

-


11 SEP 2019 AT 23:21

घर अब घर नहीं रहा,
वो यादें सहेजने वाला एक कोना ही रह गया।
तुम्हारे जाने के बाद कुछ खास नहीं बचा है,
अब मेरे पास तुम्हारा न होना ही रह गया।

-


5 SEP 2019 AT 9:55

काले बोर्ड पर सफेद पत्थर से अक्षर सारे बनाते थे
ताकी याद रह जाए, इसलिए गा कर कविता सुनाते थे
खुद ज़मी पर रहकर हमें कामयाबी की सीढ़ी चढ़ाने वाले,
शुक्रिया हमें सिलेबस के बहाने जिंदगी पढ़ाने वाले।

-


19 AUG 2019 AT 11:41

इस से पहले के जीना ढंग से समझलें,
बड़ी अजीब सी मौत मार जाता है।
पर "मैं नहीं आज दिन ही बुरा है "कह तो सकते हैं,
अच्छा ही है , ज़िन्दगी में सोमवार आता है।

-


15 AUG 2019 AT 10:05

तिरंगा फक्र से लहराएगा,
कलाइयों पर राखी होगी,
दिन तो खत्म हो जाएगा,
बस एक दुआ एक उम्मीद बाकी होगी।

दुआ यही के महफूज़ रहे प्यारी बहना ,
खुशियों से जहाँ आबाद रहे।
उम्मीद यही के जश्न ए आज़ादी सिर्फ एक दिन न हो,
हमें वतन हमेशा याद रहे।

-


Fetching Rakesh Tiwari Quotes