Aditya Jain   (Aditya_राहुल)
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Brain_Granade
Insta page-Zindagiekkosish
Joined 21 July 2019


Brain_Granade
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27 FEB AT 14:05

मैं अच्छा बेटा ना सही अच्छा बाप बनना चाहूंगा
मैं अपने बचपन से सीख लेकर
उसका बचपन सवारना चाहूंगा
मेरे साथ हुई किसी गलती को नहीं दौराहुंगा
मैं उसको समाज के बंधन में नहीं बांधूंगा
मैं अपनी इज्जत के लिए उसकी खुशियों को नहीं काटूंगा
मैं उसकी इच्छाओं को अच्छे नंबरों के साथ नहीं जोड़ूंगा
मैं उसकी आज़ादी को दूसरों की गलतियों में नहीं बांधूंगा
इसका मतलब ये नहीं कि मैं उसको बिगड़ दूंगा
उसकी हर गलती पर डांटने से पहले सही और गलत का फर्क समझाऊंगा
उससे सॉरी नहीं बुलवाऊंगा पर उसे सॉरी जरूर फील करवाऊंगा
उसकी माफी से ज्यादा उसका सीखना जरूरी है ये समझाऊंगा
उसके हर बार गिरने पर उसको नहीं उठाऊंगा
उसको उसके पैरों पर खड़ा होना सिखाऊंगा
मैं उसके हर ख्वाहिशों पर महंगाई का टैग नहीं लगाऊंगा
पर उसको हर पैसे की कीमत जरूर बताऊंगा

"मैं अच्छा बेटा ना बन सका
पर अच्छा बाप बनना चाहूंगा"

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4 OCT 2024 AT 15:43

की ज़िन्दगी में एक समय आता है
जब उसे तय करना होता है
पन्ना पलटना है या किताब बंद करनी हैं..🖤🖤

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28 SEP 2024 AT 22:36

कहीं मेरा दिल सफेद रंग का तो नहीं
जो भी दर्द ए ज़ख्म लगता उतरता ही नहीं..🖤🖤

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17 SEP 2024 AT 13:48

इतने हिस्सों में बट गया हूं मैं
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं
ज़िन्दगी से बड़ी सजा ही नहीं
और जुर्म है क्या पता ही नहीं..🖤🖤

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28 AUG 2024 AT 19:34

झूठों के बीच में मै सच बोल बैठा
वो नमक का शहर था
मै ज़ख्म खोल बैठा..🖤🖤

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16 AUG 2024 AT 9:24

किताबों में पढ़ा था इंसान पहले जानवर था
अख़बार पढ़ा तो लगा आज भी हैं..🖤🖤

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29 JUL 2024 AT 15:31

ये सच है आज कल मैं जरा मुस्किलो में हूं
बस जिंदगी गुजारने की कोशिशों में हूं
और इस कदर चूर कर दिया है अब थकान ने
खुद को खबर नही मैं किन रास्तों में हूं..🖤🖤

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7 MAR 2024 AT 13:18

थक गया हूँ मेहमान की तरह घर जाते जाते
बेघर हो गए हम चंद रुपए कमाते कमाते..🖤🖤

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24 FEB 2024 AT 21:59

सभी का मन ससंकित हो रहा था , बहुत दिन से कही कुछ खो रहा था
जुड़े सब हाथ ढीले पड़ गये थे , तपस्या चर्म तक आने लगी थी
ये भौतिक चर्म कुम्हलाने लगी थी , व्रतों पर नूर इतना चढ़ गया था
की तन का रंग फीका पड़ गया था , हुई जर्जर तपस्या युक्त काया
तो यम सलेखना का व्रत उठाया , किया आचार्य के पद से किनारा
व्रती ने मृत्यु तक मौन धारा , सुना जिसने वही थम सा गया था
गला सूखा हल्का जम सा गया था , खबर ये फैली थी आग बन कर
हृदय छलका सहज अनुराग बन कर, श्रमण सब बढ़ चले विश्वास ले कर
तपस्वी की दर्श की आस ले कर , दिगम्बर साधुओं की भीड़ उमड़ी
ग्रहस्तों के ह्रदय में पीर उमड़ी , व्रती अंतिम तपस्या कर रहा था
अभागा तन विरह से डर रहा था , हटी तप में जुटा था मन साधें
खड़ी थी मृत्यु दोनों हाथ बांधे , धारा पर भाग्य जगा था मरन का
उसे अवसर मिला था गुरु वरन् का , बिताये तीन दिन यूही ठहर कर
मगर फिर रात के तीजे पहर पर , अचानक साँस की ज़ंजीर तोड़ी
वियोगी ने ये नश्वर काया छोड़ी , चले त्रिलोक्या तक विस्तार कर के
गये ज्यों राम सरयू पर कर के , दिगंबर साधना का बिंदु खोया
व्रतों का चंदगिरी में इन्दु खोया , धरा से त्याग का प्रतिरूप ले कर
चली हो साँझ जैसे धूप ले कर , पिपासा से अमिय का कूप ले कर
चली है मौत जग का धूप ले कर , प्रजा जागी तो बस माटी बची थी
प्रयोजन गौण्ड परिपाटी बची थी , चिता में जल रहा दिन्मान देखा
सभी ने सूर्य का अवशान देखा , धरा का धैर्य दूभर कर गया है
धारा से सव्यं विद्याधर गया है..🖤🖤

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16 JAN 2024 AT 15:14

यहाँ सराफ़त का नक़ाब पहने बैठे है सब
हमे भी अच्छे से पता है
कैसे है सब..🖤🖤

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