नज़रों में उनको गिराकर क्या करोगे
बेईमानों का ईमान बचाकर क्या करोगे
जो सिर्फ़ अब अपने लिए ही जी रहा है
उसको अपने दिल में बसाकर क्या करोगे
ज़ख्म गहरे हैं देख ही लेगा कोई ना कोई
तुम अपनी मुस्कान से दबाकर क्या करोगे
जिसके होने ना होने की कोई अहमियत नहीं
उसको अब अपने दिल से भुलाकर क्या करोगे
जब हर हाल में बस ज़हर ही उगलना है तुम्हें
शहद अब उन बातों में मिलाकर क्या करोगे
जीने के लिए कोई शौक़ तो अपने दिल में रख
किसी दूसरे का शौक़ अपना बनाकर क्या करोगे
जिसकी ज़िन्दगी में पहले ही धतूरा है "आरिफ़"
काँटे अपनी दोस्ती के उसको चुभाकर क्या करोगे
"कोरा काग़ज़" मत समझो सबको दुनिया में
उसके दिल में लिखा हुआ मिटाकर क्या करोगे-
15 JUL 2019 AT 8:44
4 SEP 2020 AT 0:35
लिखने का कोई शौक नहीं...
बस खुद को उलझाए रखा है इसमें...
क्योंकि अकेलेपन में तो केवल...
उसकी याद आती हैं....!-
18 AUG 2020 AT 10:49
बड़ा शौक़ था उन्हें हमसे मोहब्बत करने का,
जब हमे भी हो गया तो उनका शौक़ ही बदल गया।-
20 NOV 2020 AT 20:36
छोड़ गए यार को कमाल शौक़ था बरसात का
अब आँखों में है यार और हम बरसें भी ना क्या-
25 SEP 2019 AT 22:02
वो जिन चीज़ों का गुरूर रखते हैं ...
कमबख़्त हमें उसका शौक ही नहीं |-
23 MAR 2019 AT 18:14
आँख बात बात पर नम नहीं हो जाती।
कुछ लोग बड़े जिद्दी हैं रोने नहीं देते।-