एक छोटी-सी नौकरी का तलबगार हूँ मैं
तुमसे कुछ और जो माँगूँ तो गुनहगार हूँ मैं
एक-सौ-आँठवीं अर्ज़ी मेरे अरमानों की
कर लो मंज़ूर कि बेकारी से बेज़ार हूँ मैं
मैं कलेक्टर न बनूँ और न बनूँगा अफ़सर
अपना बाबू ही बना लो मुझे बेकार हूँ मैं
मैंने कुछ घास नहीं काटी, किया BA पास
हो समझदार, समझ लो कि समझदार हूँ मैं-
गिरगिट बैठे सिंहासन पर
गधे लगाते तेल !
बीन बजाते बाज महोदय
मगर चलाते रेल !
ये देखो कुदरत का खेल...-
फूल शाख़ों पे खिलने लगे तुम कहो
जाम रिंदों को मिलने लगे तुम कहो
चाक सीनों के सिलने लगे तुम कहो
इस खुले झूट को ज़ेहन की लूट को
मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता
( तुम कहते हो! शाख़ों पे फूल आ गए हैं, पीने वालों को जाम मिल गए हैं, फटे सीनों के घाव सिल दिए गए हैं
तुम्हारी इस बकवास को मैं नहीं मानता, मैं नहीं जानता
इस सफेद झूट को, ज़ेहन ( दिमाग ) की लूट को
मैं नहीं मानता, मैं नहीं जानता )-
नोटबंदी से देश की
अर्थव्यवस्था खाई में गिरने वाली है
नोटबंदी फेल है ।
विरोध करने पर जेल है।।-
संसार सबका है ,
उसपे सबका अधिकार है ,
सबकी अपनी एक जगह है ,
वो वही सुसज्जित है ,
गलत जगह जाओगे ,
परिणाम तो मिलेगा ही ।-
केवल
एक ही विषय पर
मैं दिल के विरूद्ध हो जाती हूँ
और दिल
मेरे विरूद्ध हो जाता है
यही कि
मैं उससे दूर रहना चाहती हूँ
और दिल
उसके पास रहना चाहता है-
हर जोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है
तुमने मांगें ठुकराई हैं, तुमने तोड़ा है हर वादा
छीनी हमसे सस्ती रोटी, तुम छटनी पर आमादा हो
तो अपनी भी तैयारी है, तो हमने भी ललकारा है
हर जोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है-
✍️✨दहेज़ (嫁妆, Jiàzhuāng)✨✍️
दहेज़ की जरुरत ही क्या है!
हमें तो बस हाथ चाहिए था।✨ ...(१.१)
मेरे प्रिय पुत्र के लिए आपकी
सुपुत्री का साथ चाहिए था।✨ ...(१.२)
रिश्ते अच्छे हों यहाँ दहेज़ बेकार है।
एक बहु ही नहीं बेटी की दरकार है।✨...(२)
सोच समझकर फैसला करना, जल्दबाजी नहीं।
समय देख हमें भी परखना, ऐसे ही राजी नहीं।✨ ...(३)
देखा होगा शादी के बाद बहुओं को सताया जाता है।
सुबह की अखबारों एवं टीवी पर जो बताया जाता है।✨ ...(४)
बहु बेटियों की इज्ज्त करना परंपरा है हमारी।
उम्मीद है सब सही होगा तो न रहेगी बिमारी।✨ ...(५)
आपके उत्तर आपकी रायों से रूबरु होने का इंतज़ार रहेगा।
खूशी होगी एक परिवार बनाकर जहाँ पक्षों में प्यार रहेगा।✨...(६)-