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6 JUN 2020 AT 14:55
है इस तूफ़ानी मंझधार में
तेरा नाम जपता रहूं यही है अख़्तियार में-
16 MAY 2019 AT 3:53
बंद कमरों में ही आते हैं,
कोई गवाह नही होता इनका
सुबह तक सुख जाते हैं !
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28 APR 2021 AT 9:45
हो कौन जो जागती रातभर तुम
जीवन की एकमात्र आसभर तुम
झाँकती जब सुबह घन तिमिर से
स्नेहाकांक्षा की नव चाहभर तुम
ह्र्दय भेदते चीत्कार को मिटाती
अनुराग पूरित एक रागभर तुम
हर अंश का प्रेरणादायी रूप बन
स्फुटित अंकुरण में प्राणभर तुम
सुप्त चेतना से कुहासा हटाती
गुणा प्रेम, कष्ट का भागभर तुम-
7 OCT 2020 AT 23:11
ज़िन्दगी में आँसुओं का ग़म नहीं
मौत को क्या रास आए हम नहीं
चल सको तो चल ही देना साथ में
इश्क़ में तो मंजिलें भी कम नहीं
वाक़िआ मैं क्या सुनाऊँ इश्क़ का
रो रहा हूँ आँख भी अब नम नहीं
बद-नसीबी कह रही है सुन भी लो
क्या दुआओं में ज़रा सा दम नहीं
शहर 'आरिफ़' का नहीं है इस तरफ़
हम-सफ़र क्या बस वही है तुम नहीं-