Rashmeet Kaur   (Rashmeet)
2.1k Followers · 87 Following

Joined 23 May 2020


Joined 23 May 2020
31 OCT 2023 AT 19:20

आज फिर धकेल दिया
मन की खिड़की से
जज़्बातों को
थोड़ी और जगह बना ली
उदासी के लिए
ऐसा नहीं कि
मंज़िल नहीं
या रास्ते नहीं
बस
थकन सी है
जो चलने नहीं देती

-


1 MAY 2023 AT 17:51

लिखे किस्मतों में सफ़र कैसे कैसे
देखे ज़िन्दगी के कहर कैसे कैसे

बतायें भला किस तरह से ये उनको
कि हमने बिताये पहर कैसे कैसे

कहें किस तरह उलझनों का ये आलम
पिये ज़िन्दगी में ज़हर कैसे कैसे

हमेशा रही अजनबी सी ये दुन्या
मिले रास्तों में शहर कैसे कैसे

दुआओं में कुछ तो कमी रह गई है
हरिक सिम्त मिलते असर कैसे कैसे

सभी से छुपाकर जो बातें रखीं थीं
वही बन गईं हैं खबर कैसे - कैसे

रुकी थीं जो साँसें -रुकी थी जो धड़कन
है उनसे उठी ये लहर कैसे - कैसे

है आँखों में पानी-ख़लिश सी है दिल में
वफ़ा के मिले हैं समर कैसे - कैसे

-


17 SEP 2022 AT 13:37

नदी का कभी बन किनारा मिलेंगे
किसी राह क्या हम दुबारा मिलेंगे

बिताएंगे हम ज़िन्दगी इस तरह या
कभी बन के फिर हम सहारा मिलेंगे

घटा जा रहा बोझ यादों का हर पल
मोहब्बत का कर क्या ख़सारा मिलेंगे

पलक पर रही इक जो तस्वीर बाक़ी
फ़क़त उस का हो के नज़ारा मिलेंगे

ज़मीं पर कटी ज़िन्दगी इस तरह तो
हो कर आसमाँ का सितारा मिलेंगे

-


15 SEP 2022 AT 17:03

कौन कहता कि साँस चलती है
अब महज़ दिल में आस पलती है

दिल से क्यों तीरगी नहीं जाती
हर घड़ी आरज़ू तो जलती है

जब बुलाने से वो नहीं आते
फिर ये धड़कन ही क्यों मचलती है

क्यों नज़ारे नहीं ठहरते अब
सिर्फ़ दिन चढ़ता - साँझ ढलती है

रुख हवा का समझ न पाये जब
ज़िन्दगी करवटें बदलती है

मिट गईं बादशाहतें उनकी
जो न जाने कि उम्र ढलती है

वक़्त न हो सका किसी का भी
हाथ से ज़िन्दगी फिसलती है

-


11 SEP 2022 AT 18:02

ग़मगीं रहा फिर भी कभी रो ना सका
दिल ये हमारा चैन से सो ना सका

वो गैर हमसे एक पल भी ना हुआ
पर वो हमारा भी कभी हो ना सका

बादल, ये बारिश, तीरगी- ओ -रौशनी
यादों के साये कोई भी धो ना सका

अफ़सोस ये था कि मोहब्बत न मिली
बस बीज नफ़रत के शहर बो ना सका

आते रहे चेहरे निगाहों में मग़र
वो एक चेहरा दिल से तो खो न सका

-


9 AUG 2022 AT 19:19

ज़हन पे शोर कैसा तारी है
बोझ दिल पर अभी भी भारी है

बात थोड़ी जो करनी थी तुमसे
वो तो थोड़ी भी कितनी सारी है

मिलने पर हाल कह देंगे दिल का
अब तो मिलने की इंतज़ारी है

वक़्त बे-वक़्त वक़्त ही चाहा
वक़्त पे वक़्त की उधारी है

हिज्र आकर सिखा गया हमको
उम्रभर सिर्फ़ अश्क़बारी है

दिल के अरमान टूटे तब जाना
ज़िन्दगी ख़ुद में सोगवारी है

-


10 JUL 2022 AT 18:17

करें हम आज तुमसे बात फूलों की
सुब्ह फूलों की, हो हर रात फूलों की

मिले जो तुमसे महके इस तरह से हम
लगे हर सिम्त है बरसात फूलों की

फ़लक से आ गए जो तारे कुर्बत में
ज़मीं पे मिल गई सौगात फूलों की

यही है शुक्र कि इंसाँ नहीं हैं वो
हरिक फिर पूछता क्या ज़ात फूलों की

कभी राहों पे काँटे न मिलें तुमको
बिछे हर राह पर बारात फूलों की

कभी जो ज़िन्दगी में तुम हमें भूले
मसल जाये ये दिल ज्यूँ गात फूलों की

-


4 JUL 2022 AT 12:50

दर्द तब तक ज़ियादा रहेगा
ज़ख्म जब तक ये ताज़ा रहेगा

आँख से अश्क़ बेशक बहें न
दास्ताँ दिल सुनाता रहेगा

हँस के कैसे महफ़िल में जाएँ
दर्द हमको सताता रहेगा

समझो मौसम के जैसा उसे तुम
आ के जो लौट जाता रहेगा

किस तरह भूल जाएँ उसे हम
जो ज़हन में ही छाया रहेगा

आइना अँधेरे में न देखो
अक्स सच ही दिखाता रहेगा

चोट करने लगे रौशनी जब
गर्दीशों में सितारा रहेगा

दिल ये बेचैन जलने लगा है
अब ये ख़ुद को बुझाता रहेगा

-


30 JUN 2022 AT 18:54

रौशनी रहे बाहर दिल में रात रहती है
तूने जो कही थी वो दिल में बात रहती है

हाल कह देना अपना हो गया बहुत मुश्किल
सिर्फ़ कश्मकश में मेरी हयात रहती है

चैन बेसबब मेरा साथ ले गए हो क्यों
हर तरफ ये रूठी सी काएनात रहती है

वो न बाँध पाये जज़्बात मेरे लफ़्ज़ों में
अनकही सी उलझन में दिल की बात रहती है

काश वक़्त को कपड़ों सा कभी बदल लूँ मैं
गुज़रे वक़्त से दिल को मुश्किलात रहती है

बज़्म और तन्हाई में फ़र्क नहीं कोई
रात-दिन फ़कत ख़ामोशी से बात रहती है

-


21 JUN 2022 AT 19:07

जब तेरी यादों के घिर घिर आते बादल
मेरी आँखों में नहीं रुकता ये काजल

शाम से काँटों के हम आगोश में हैं
दर्द कितने ही समेटे है ये आँचल

लौट के देखी नहीं हमने गली वो
कौन समझेगा वहाँ इस दिल की हलचल

आज मौसम की तबीअत बिगड़ी थोड़ी
खुशनुमा महकी हवा भी लगती बोझल

किसने इन मासूम ख़्यालों को छेड़ा है
महके थे जो दिल ही दिल में बनके संदल

-


Fetching Rashmeet Kaur Quotes