है ख़ुशनवा वो....
नर्मी ए गुफ्तार बा कमाल .....
बहुत दिल के करीब है वो....
है वो थोड़ा शर्मिला पर...
लहज़ा नज़ाकत भरा....
रखता है रुख पर हल्की मुस्कान ...
मानो हंसी ही उसकी जिंदगी हो.....
पूछा कितनी बार राज़ ए तबस्सुम....
बड़ी मासूमियत से है वो टाल जाता....
थोड़ा बे परवाह, आशिक मिजाज़,फितूरी
या यूं कहूँ......
हर इक अदाओं का मिश्रण है वो....
है वो जोया का बड़ा फैन...
कुछ अलग करने की ललक,
कोशिशें भी करता है कड़क.....
नहीं उतना संजीदा....
चाहत न पूछो साहब है तड़क भड़क....
मेहनती कहूँ या सुरी कहूँ.....
गर ठान ले तो समझो finish......
आदी है शबभर जागने की.....
उल्लू समझूं या आशिक.....
यूँ तो कहता है ,हूँ किताबों का रसिक...-
वक़्त के शाख़ पे लम्हें उगाना
लम्हों के धागे से रिश्ते बुनना
हमने आपसे ही सीखा है
यौमे पैदाइश मुबारक-
यकीनन दुनिया ने नहीं जाना होगा भरपूर उसकी पैदाइश पे साहेब!! कि.......
नरकटियागंज का वो नवजात इक रोज़ नोहर नूर होगा,सार्थक सिनेमा का।।
-
खुदा का शुक्र है,खुशी इंतहा है आज,
क्योंकि आज का दिन है थोड़ा खास,
बयां-ए-अर्ज करूं इससे पहले,
जान लो यह 'नज्म' है, मेरे लिए खास।
जो दिल के अजीज हैं,बचपन से मेरे,
जिसके साथ गुजरे दोस्ती के, हसी पल मेरे,
नज्म लिखू,यह मेरे दोस्त की फरमाइश है,
दिन खास है,आज मेरे दोस्त की "यौमे-पैदाइश" है।
यार मेरे तू खुश रहे,आबाद रहे,कामयाब हो 'जहां' में,
सभी कांटे फूल बने जो,आए कभी तेरी 'राहों' में,
"शोएब" की यह नज्म है "रिजवान" के लिए,
मेरी सारी दुआ है, "रिजवान" के लिए।
"हैप्पी बर्थडे टू यू मेरे भाई रिजवान"-
जिस रोज़ दुनिया तुम्हें,
तुम्हारे नाम और मज़हब विशेष से नहीं,
बल्कि तुम्हारे कार्यों से पहचानेगी ,,
यकीनन,उस रोज़......
तुम भी कलाम कहाओगे!!-
दुआएं मिलती रहीं यौम-ए-पैदाइश पर मुझे,
मलाल यही है ये साल भी तुम्हारे बगैर गुजर गया।-