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**अरे यारों ....**
**एक बात बोलूं जब "दर्द" हद से गुजर जाता है
**तब "इंसान "रोता नहीं....
**बस "खामोश "हो जाता है*...!!!!-
बख्शे जायेंगे आले-ए-मोहम्मद की ख़ातिर
वरना ना हम अच्छे ना हमारे आमाल अच्छे।-
हो ना दर्द का असर गर तो,
इश्क़ कोई महक नहीं सकता,
मुझमें अश्कों का दरिया हैं,
तेरे हुस्न से दहक नहीं सकता,
तुम्हारी इतनी सी कोशिश है,
कि मैं कहलाऊं दीवाना तेरा,
मगर मैं गुलशन का माली हूं,
तेरी महक से बहक नहीं सकता।-
**अरे यारों**.....
*जबसे सूनी है उनकी *आवाज *यह "दिल" किसी और की *सुनता *ही नहीं*...
**उनसे मोहब्बत क्या है***
*ये "दिल "किसी और के लिए* इश्क *का धागा *बोनता *ही नहीं*...!!!!
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हम गए थे मयखाने अपना गम सुनाने के लिये,
पर वहा तो आशिको की कमी नही थी,
सब छलका रहे थें जाम,
अपना गम सुनाने के लिए।
🍻🍻-
जाने ये कैसी साजिश पूरी कायनात ने हमसे की,
बेपनाह इश्क़ में पनाह भी हमें ना दी!!-
अगर मेरा नाम "हिशाम मोहम्मद" होता
तो इस दुनिया को देखने का मेरा नजरिया
शायद कुछ अलग होता, है ना
"We can not become the other"
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