उनसे मोहब्बत कमाल की होती है
जिनका मिलना मुकद्दर में नहीं होता....
वो चाहत बेमिसाल होती है
जिसका मुकम्मल होना,
कभी हकीकत नहीं होता....
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हौसले मेरे बढ़ रहे हैं इस कदर,
खुदा भी अब है राजी, मंज़िल
को बनाए मुकद्दर-
मंजिल तो बस मौत की,जी रहा हूँ खुशी से
तेरे दर पर ही आकर,सफर खत्म होगी मेरे मौला-
Enjoy your journey rather than thinking about goal, you will definitely grow as person
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हम जिसे अपना समझें ज़रूरी नहीं वो हमारा हि हो, चाहते रहें हम उसे दूर से शायद यहि बस मुक़ददर हमारा हो।
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एक एक करके
लम्हें भूल रहे है
जितना भी करीब थे
अब दूर हो रहे है
बेवजह बिछड़ना
ये मुकद्दर का
खेल है सारा ,
वरना हम तो
तुम्हें चाहने की पूरी
कोशिश कर रहे है-
राह आसान नहीं मंजिल की दर बदर भटकना पड़ता है..
हौसला अपने साथ रख, हिम्मत करके बढ़ना पड़ता है !-
मुक़ददर पर हमारा भी ज़ोर चलता गर साहेब,तो हम भी इस मुक़ददर के नाम कुछ खुशियां लिख देते,फैसले अपने हाथों से करते हम सारे,इस मुक़ददर के धोखे से तो बचे रहते।— % &
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हमने कहा था इश्क़ नहीं आसान
तुमने कहा मुझे मुश्किलों से खेलना है
हमने कहा कि अंगारों पे चलना है
तुमने कहा कि परवाह नहीं पैरो की
अब क्यों लगाते हो इश्क़ पे इलज़ाम
ये जहर भी है मलहम भी आपका
जे साथ छुड़ाते हो या अपनाते हो।-