क्या अनुपम है संयोग सखी
मिथिला नगरी में है उत्सव भारी
तिहुँलोक के स्वामी स्वयं पाहुंन बन
व्याहन आए मिथिलेश कुमारी
#विवाहपञ्चमी-
मिथिला हमर अछि जन्मभूमि,
मैथिली हमर मातृभाषा अछि।
सदिखन मिथिला मैथिल आगु बढ़े,
यैह हमर अभिलाषा अछि।-
Nai Puchu Monak Baat,
Hum Aaiyo Aahi Sa Pream Karai Chi...
Chi Hum Bahut Dur Aaha Sa,
Taiyo Aahi Humesa Mon Parai Chi...-
मिथिला मेरी जन्मभूमि
मैथिली मेरी मातृभाषा
लिपि अपनी इसकी
देती इसकी संस्कृति की परिभाषा
बनी रहे इसकी अस्मिता
गाते रहे गीत विद्यापति के
यही मेरी अभिलाषा....
अनुपमा झा
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मिथिला पैंटिग वाली ये शॉल मोदी जी के कंधे पर सुशोभित
मिथिला के सांस्कृतिक पहचान को एक नया आयाम दे रही है। thank you my PM
#indiaart #culturalidentity #Mithila-
राम भी तो त्रिकालदर्शी थे
कहां रोक पाए खुद को
स्वर्ण मृग तक जाने में..
मैथिली तो कहेगी..
हर युग में कहेगी...
राम! जाओ...
ये निर्णय राम का है...
ना जाए..
सीता को मनाए...
समझाए...
( पूरी कविता कैप्शन में.. )-
In 2019 we had Godavari Datta from Mithila now Dulari Devi. स्त्री रचनात्मक शक्ति की शक्तिपुंज होती हैं हमारी तरह मोटे काम कर उन्हें अपनी विशिष्ठता दिखाने को कोई आवश्यकता नही।
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आज नरक निवारण चतुर्दशी है मान्यता है कि आदिशक्ति माता पार्वती का महादेव से विवाह आज के दिन ही तय हुआ था। आज महादेव व माता के पूजा का विशेष लाभ होता है मैं तो व्रत में हूँ । पता नही मिथिला के बाहर भी ये पर्व प्रचलन में है या नही आप बता सकते हो ।
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अइछ मखान, मिथिला के धरोहर
मिथिले के रहबाक चाही।
नाम,पहचान सब एकर
मिथिले स होबक चाही।
महिमा पाग, मखान के
बुझत नहि क्यो आन!
मिथिला छोड़ि कत होइत छै कोजगरा
कहु कहु GI करै वाला श्रीमान?
©अनुपमा झा
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मिथिला के बेटी छी हम अछि हमरा अभिमान
झुकि करी ई धरती के बारम्बार प्रणाम
विदेह राज सन नृप भेला ऐतऽ, जिनक महिमा महान
कण कण एतऽ के गाबि रहल अयाँची के गुणगान
कवि कोकिल के गीत सुनि शंकर जतऽ चाकरी केला
डेग डेग पर बहि रहल अछि कोसी बलान आ कमला
माछ दहि प्रिय हमरा सभके, स्वागत में अछि पान मखान
सभदिन पाबनि रहैत अछि, जितिया चौरचन देवउठान
सीता सन बेटी भेलथि पाहुन राम भगवान
प्रेमक धारा बहैत अछि, सब केयो अपन कियो नै आन-