कठै रिया काण कायदा कठै मान आदर,
माँ जी ने मोम केवे पिता जी ने फादर।-
अपना वालो अपना वाले के
कदि गंगाजी नी जावादे ....
Your own people never want to see you climbing on the stairs of success...-
यूँ तो है हम मालवी भाषी,
पर हिन्दी भी हमे इतनी ही अच्छी आती।
तू को आप और मैं को हम बनाती,
मातृभाषा ही हमे सबका सम्मान सिखाती।।
भिन्न-भिन्न लोग भिन्न-भिन्न रीती-रिवाज,
भिन्नता में देश को एक सूत्र में पिरोती।
अलग अलग भाषाओं का भेद मिटाती,
हिन्दी ही भारत को भारत बनाती।।
यूँ तो है हर भाषा का अपना मान,
परन्तु मातृभाषा से ही है हमारा सम्मान।।-
🙏!!बई (दादी) के वचन (शिक्षा) !! 🙏
(प्रसंग-समय से कोई काम नहीं करने पर)👇
👉 नाना! समय से जो काम हो जाय, ओकी होड़ नी होय!
(प्रसंग-अधिक रुपये मांगने पर)👇
👉 नाना! जो घर चलाय वो घर को बेरी होय है!
👉 नाना होन! तमारे तो बस हरोइ हरो सूझे, जब कमा के लाओगा तब पतो चलेगो!
(प्रसंग-कहीं जाने के लिए कहने पर एड्रेस पता न होने का बहाना बनाते तो)👇
👉नाना होन! आदमी पूछतो- पूछतो लंका चल्यो जाय और तम से यैंह्यै नी जवाय!
(ईमानदारी की सीख)👇
👉नाना! कईं का को सुन्नो भी पड़्यो रेय, तो नी उठानो चइए!
(प्रसंग-दुकान से खराब सामान लाने पर)👇
👉नाना! देख-परख के समान लानो चइए, असे तो कइ को गारो बांध के दे देयगो तो कईं वोई लियायगो!
(प्रसंग-जब कुछ बिना खाए ही दोपहर तक दोस्तों के खेतों पर खेलते रहते थे)
👉नाना! म्हाँ कईं तमारा बाप-दादा का आम्बा गड़्या है जिनकी म्हाँ रखवाली करो है!*
👉 बाप-दादा की भभूती लुटाय, कईं म्हां जो भर्या दफोर्या में खेलता फिरो!*
(प्रसंग-जब किसी काम को नहीं कर पाते थे)👇
👉धन है! लाज छोड़्या, लाज का बान्ना छोड़्या!-
ठण्डी अइगी, ठण्डी अइगी!
एको इन्तेजाम है करनो, लकड़ी कण्डा घर में भरनो,
जो कोई चूके इनसे भइया, ओखे कइं जाड़ा में मरनो!
सूरज दादा नगे नी अइर्या, छोरा-छोरी रोज नी नहिर्या,
सूटर-टोपा पेहन के बढ़िया, सेंट छिड़की के स्कूल जइर्या!
काका ताऊ दादा भइया, लोग-लुगाया दाद नी दइर्या,
सब मिली खे अलाव जलइने, आनी-घानी ओका भइर्या!
ठण्डी में कइं दिन और रात है, सगड़ा लोका रेय साथ है,
साथ बठी के सुख दुख वारी, तापता जाये और करे बात है!
जय हो ठण्डी, जय हो ठण्डी
😊-
रास्ते मुश्किल है पर,
हम मंजिल जरूर पायेंगे,
ये जो किस्मत अकड कर बैठी है,
इसे भी जरूर हारायेंगे...-
" मालवी केण "
" खेते से अई के नवली लाड़ी ,,,
किच्च्चड़ मे खेड्या पग ना,
जोरर-जोरर ती रगड़ने लागी ,,,
सासु ने यूँ की ,,,
बेटा , आटा के गलवा तो दे ,
सिदी-सामी रोटीना ,,,
युंज अई जाय गी "-
थारे घणी समझई पर तु नी मानी'
अबे कान खुल के सुण ले म्हारी बात नानी !
जिंदगी में अतरा मजा लुवाँ, के बुढ़ापे तू भी केगी के ललित तेने तो घणी छानी!!-
गति प्रबल पैरो में भरी,
फिर क्यूँ रहूँ दर-दर खडा,
जब आज मेरे सामने है
रास्ता इतना बडा,
जब तक न मंजिल पा सकू,
तब तक न मुझे विराम है,
चलना हमारा काम है
चलना हमारा काम है!!-