"दिल घबरावे स"
म्हारी पलका यूं बार बार झपकन लागी
तू दूर बैठा कोई काला जादू चलावे स ।
म्हारी सांसा हिवडे में क्यूं अटकन लागी
तू बैठ कने काना में कोई मंत्र फूंक जावे स।
मैं भागी चली आऊं बागा में नंगा पाॅंव सूं
बाजन लाग्या कान जाने तू मने बुलावे स।
सखियां बनावे बात यो कान्हो है राधा को
मैं भई लाल गुलाबी तू दूर खडो मुस्कावे स ।
मैं निकली घरा सूं सज संवर बाजार वास्ते
तू हाथ खींच के मने सकूटर पर बिठावे स ।
तू आंखया मटका कर राह चलता इशारा करे
मैं घबराऊॅं ,डर जाऊॅं ,तू पीछे पीछे आवे स ।
बदनाम ना कर दे मने ये थारी चुहलबाज़ियाॅं
मिलो तो शरमाऊॅं ना मिलो तो दिल घबरावे स।
सुधा 'राज'
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❤️
मन्ने इंतजार है उण दन रो,
जद मिनख म्हारा हाल भी
थारे स्यूं पूछेला।❤️-
बिन बिचारियें बहन न दिजों
बिन देखिए दिकरी न दिजों।
घर आछौ देखो न देखों
मन सांचौ देख लिजों ।।
Baisa_ri_kalam-
ओन्तरो रो खुन बालियोडौ पचे कौनि,
कर्मठौक होवे उवोरे हिन्या जुड़े कौनि,
मरहै कुत्ते रि मौत रेवे कौनि,
कर्मो रो संसार जुको कोजो करियौ,
भुगतीये बिना मरे कौनि।
ठार ठार पीयो सा।-
🐫 महारौ मारवाड़ 🐫
माहरे मारवाड़ री एक कहावत हैं,
जीण लुगायौ ने या भी पतो कौणि की,
खुद रा सास ससुर कठे हैं,वो भी दस -पन्द्रा जिणी साथे बेठ न वाता करे की वा तो खुद रे सास ससुर री सेवा कौणि करे ।
पगा मे लाग्योडि कौनि दिके,पर डुंगर बलती दिक जावे 🐫🐫🐫🐫🐫🐫🐫🐫🐫🐫🐫🐫🐫🤣🤣
"पहलें खुद री देखनीं चाईजे पछे दुजो ने केणो "-
अबे 🙄ओर काई 🤔करो मैं ई दुनिया🌍 रे वास्ते☹️
सगळी बाता😊 ने भूल चालू 🤗मैं मारे रास्ते।😎
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धरम न मन्दरा म मिल,बाज़ारा न बिकणो आय ।
धरम न पोथ्यां म मिल,मन म धार पा जाय ।।
ऊंच-नीच स्यूँ न धरम है, धरम न जाति-पांति ।
धरम ही सत रो मारग,इकी दया है साची साथी।।
गोरो काळो मिनख है,मिनख तो मिनख ही होव ।
मिनख जको मन मैलो कर,जीवन भर ही रोव।।
रंग-रूप तो रे मना,मिनखा री रचेड़ी माया ।
काळो गोरो एक सम,राम क घर स्यूँ आया।।
कितरो राजी होल र, भरणो पड़सी सब।
राम रोज तू भज ल, पछ भज को कब।।
जीवन कटतो जावे है, पल-पल मिटतो ज्याव।
काळ कद तो आवे लो, हर क्षण बढतो ज्याव।।-
सावण पेलो बालमा, म जाऊं ली पीहर
बठ उडीक बहणा सगळी, मन उडीक बीर
थाकी सौगन पिवजी, मन स्यूँ ना भूलूंगी
यादां की हिचक्याँ लेय के,हिवड़े न छुलूंगी
यादां तेरी गौरडी, मन घणेरी आय
कियाँ बीत लो सावण,आ तू मन बतळाय
यादां री छाया रह ज्यो थे,अमावस है आ जाय
पुन्यू आव ली भाया री,थे एक्यूँ न लेबा आय
जालिम महीनों है भली पण,पल-पल बित्यो जाय
रात पछ तो दिन हूणों है,म्हारा बड़का बात बताय
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