Prashant Sevda   (जालिम)
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Joined 12 September 2019


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4 MAR AT 10:23

कोई तन दुखी कोई मन दुखी, है दुखिया सब संसार
जग में कोई अपना नहीं,बस अपना है करतार
अपना है करतार जगत में, वो ही पालनहार
भूखा सदा उठाये है और, पेट भरे दातार
उसके दर पे कोई जाय, ना करता इनकार
तेरी शरण में राम रहूँ, तेरी ऊंची है सरकार

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21 JUL 2024 AT 18:35

एक दिन सब मर जायेंगे...

बस लोगों के पीठ पर छुरा मारने वाले और रिश्तेदार बनने का दिखावा करने वाले ही जिंदा रहेंगें....

ऐसे सभी लोगों को अमर होने की बधाई देता हूँ!!



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11 FEB 2024 AT 19:30

क्या जरुरत है किसी प्रॉमिस डे की जब सप्तपदी के मंत्रो के साथ ही बंध जाना है सात जन्मों के लिए।... जय जय सियाराम

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7 FEB 2022 AT 11:58

रीट चाली जैपरिय स्यूँ जरौली क साथ में
गलियां अर गलियां फिर भटकती आधी-आधी रात
चोल्टो ओ चोल्टो-2 खा ज्या गो
ओ ओ ओ
रीट चाली सिकरिये नाथी को बाड़ो साथ में
गलियां अर गलियां फिर भटकती आधी-आधी रात
चोल्टो ओ चोल्टो-2 खा ज्या गो
ओ ओ ओ
रीट चाली जालौर मांही नेतावां क साथ में
गलियां अर गलियां फिर भटकती आधी-आधी रात
चोल्टो ओ चोल्टो-2 खा ज्या गो
ओ ओ ओ
रीट चाली बीकाणे हा चपलां आलां साथ में
गलियां अर गलियां फिर भटकती आधी-आधी रात
चोल्टो ओ चोल्टो-2 खा ज्या गो

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24 JAN 2022 AT 9:39

UP वाली लड़की राजस्थान,में कब है लड़ पाती
इनकी सरकारें तो बोली,लगवा के पेपर बंटवाती
रोजगार के नाम रेवड़ी, UP में बंटवा रे है
राजपूताने में देखो बेरोजगारों,के ये ही तो हत्यारे है
अंट-शंट वादों को करके, सत्ता पाना चाहते हैं
बेरोजगारों के फिर ये सारे, खूनी आँसू लाते हैं
शौर्य चक्र को शोभित फौजी,भूखा-प्यासा बैठा है
अहिंसा वाला मुख्यमंत्री,खा-पी कर सब कुछ लेटा है
पेपर प्रिंटर से छपवाकर भी,ना आउट माने पापी है
गंगापुरसिटी में पेपर वाली, बांटी जाती कॉपी है
अठारह सौ पेजों की,चार्जशीट भरी थी थाने में
REET परीक्षा थी धोखा,ये ना हुआ अनजाने में
आटे में सब नमक मिलाके,रोज ही रोटी खाये है
बईमान ही नमक रोट का,पूरा भोग लगाए है
जमीर जगा है गर मंत्री जी,जांच करा अहसान करो
दिलासे झूठे देकर अब, इतना ना हैरान करो
#जालिम










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31 DEC 2021 AT 22:35

राम तेरी नगरी म्हाही कांई घाटो,
करमां म लिख्योडो ही मिल ज्यावै आटो।
मिनख जमारो देखो रामजी बेजां खोटो,
थारे दरसण रो राम पड़ ज्यावै टोटो।
राम तेरी तो माया देखूं,हुवे अचम्भो मोटो।
तेरो तो मार यो नहीं संभल,जे पड़ ज्यावै सोटो।
कद तो तू बण कोविड,र कद बण है डेल्टो।
डेंगू बण क घणो अधायो,मिनखां सागे खेलतो।
एक अरज तो सुणो रामजी,नुवो साल है लाग।
थारी किरपा म्हार पर हु ज्या,सुत्यो भाग है जाग।
राम कर हिवड़े म च्यानणो,राम दिखावे गेलो।
तेरी दियोड़ी आ चादर है,ना लग ज्यावै मैलो।
राम राम जप मन म चाले,ना होवउँ म बैळो।
राम तेरे तो सो क्यूँ अरपण,मैं माटी को ढेलो।







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21 NOV 2021 AT 11:22

मैं वो भारत हूँ जहाँ मान से पूजी जाती सीता है
न्यायालय में झूठ-साच की सौगंध देती गीता है
मैं वो भारत हूँ जहाँ प्रेम से हिंदुस्तानी रहते हैं
कल-कल करती प्रेम नदी में अविरल सारे बहते हैं
मैं वो भारत हूँ जिसके अंदर संबल वाली शक्ति है
वृंदावन,मथुरा,काशी का जीवन पथ ही भक्ति है
मैं वो भारत हूँ जिसके जैसा जग में कोई नाम नहीं
ऐसा कोई कहाँ बचा जिसको मुझ पे अभिमान नहीं
मैं वो भारत हूँ जहाँ संताने नाम बड़ा कर जाती है
कुछ संताने तो जालिम अपमान बड़ा कर जाती है
मैं वो भारत हूँ जहाँ महिला का माता जैसा पूजन है
शब्दों से अपमानित करता वीरदास ही दुर्जन है
मैं वो भारत हूँ मेरे जैसा जग में ना कोई दूजा है
धन्य धरा है मेरी जहाँ पे सेवा ही तो पूजा है



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3 SEP 2021 AT 0:48

दियों की पंक्ति जगमग है, घोर अंधेरा छाया है
दुनिया के सृजन कर्ता ने,जीवन-मरण बनाया है
देखो कैसा नाटक रच दे,पात्र सभी मतवाले है
पूरी दुनिया उसके हाथों, लगते नाचन वाले हैं
रच डाली है सारी सृष्टि,मंचन गजब कराया है
दुनिया के सृजन कर्ता ने,जीवन-मरण बनाया है
कहीं सुखों की बारिश होती,कहीं दुखों का दावानल
भले-भले जो कर्म करे हैं,वो भी जाता है यहाँ छल
पर भलमानस के खातिर,वो स्वयं धरा पे आया है
दुनिया के सृजन कर्ता ने, जीवन-मरण बनाया है
कहीं हर्ष है कहीं शोक है, कहीं पीठ पे खंजर है
अपने ही ना साथ खड़े हो, ऐसा ही तो मंजर है
हृदय द्वार पर पीड़ा तोरण, अश्रु आंख सजाया है
दुनिया के सृजन कर्त्ता ने जीवन-मरण बनाया है
संसारी सागर में जर्जर देह,हिचकोले खाती है
सारी माया उसकी है, ये भाव सदा बतलाती है
जाना होगा इक ना इक दिन, जो धरती पर आया है
दुनिया के सृजन कर्ता ने,जीवन-मरण बनाया है

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2 SEP 2021 AT 23:14

चेहरे पर जितने फूल लगे
वो फूल सभी अपनों के थे
पीठ पूरी खंजरों से भरी थी
जालिम खंजर भी अपनों के थे

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17 AUG 2021 AT 10:53

रात खड़ा था सपने में
मैं परमपिता के द्वारे पर
खून उबलता खोल रहा था
इक इक उस हत्यारे पर
जरा बता दो हे भगवन
कब बंद होगा ये क्रंदन
कब टूटेंगे धर्मअंधता
के ये सारे बंधन
धर्मांधता ही तो प्यारे
मेटेगी सारा क्रंदन
धर्म समंदर का देखो
तुम शुरू हुआ है मंथन
ये जो निकला है गरल
इसे भारत 'शिव'बन पियेगा
भारत ही अगुवाई करके
धर्म ध्वजा को सियेगा

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