Kalam wala
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आज के एडवांस और मशीनी दौर में
इंसान तकनीकी तौर पर इतना
ज्यादा निर्भर हो चूका है कि,
"उस" ऊपरवाले की बनाई हुई
"इस" मशीन में अगर कोई भी
तकनीकी खामी हुई तो सारी की सारी
एडवांस तकनीकी धरी की धरी रह जायेगी।-
तेरी बुराइयां को हर अखबार कहता है,
और तू मेरे गांव को गवांर कहता है!
ये मेरे शहर मुझे तेरी औकात पता है,
तू बच्ची को भी हुस्न ए बहार कहता है!
गांव चलो वक्त ही वक्त सबके पास,
तेरी सारी फुरसत तेरा इतवार कहता है!
मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं,
तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है!-
दौर काग़ज़ी था ,
पर देर तक ख़तों में
जज़्बात महफ़ूज़ रहते थे..
अब मशीनी दौर है
फिर भी जिंदगी तेरी यादों को
उम्र भर के लिए दिल में सेव कि हैं..-
ये मशीनी दौर है साहब....
उँगली से डिलीट कर दी जाती है,
चंद मुलाकातों की यादें-😔-
किताबें चुप-चुप सी हैं ,
गुमसुम ..
उदास भी ,
किससे कहें..
क्या ..कहें
क्योंकि महीनों गजरते हैं अब
इनसे बिना मिले ।
एक आदत थी
साथ रहने की ,
साथ सुनने की ,
साथ कहने की..
फिर क्यों भावनाओं पर
अब आधुनिकता भारी है,
..ये "वक्त" की
या हमारी ही लाचारी है ।
..ये धूल जो जमी
परत-दर-परत
..परिवर्तन की ,
क्या जरूरी था इसका आना !
भले ही खोज लिये हों चन्द्रयान..
या कि चिर महान ,
फिर भूलने क्यों लगे उसे
हां ,वही किताब..!
"वो किताब"..
बेबस भी है
कि उंगलियां चलती हैं अब
..कम्प्यूटर पर
क्लिक पर.. ,
कैसे सहेजे वो
..रिश्तें पन्ने पलटने के ,
औऱ वो..
जो संजोए रखते थे
.."फूल"
तेरे-मेरे "एहसास"के.. !!!!
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ये मशीन का दौर हैं
जनाब
अंगूठे से डिलीट कर दी
जाती है चंद मुलाकातों की यादें-