सरल था शायद!
सिद्धार्थ के लिए
महाभिनिष्क्रमण करना,
राजकुमार को नहीं थी
चिंता कोई -
सुरक्षित था भविष्य
पत्नी और पुत्र का,
राजा थे पिता,
ना निर्वाह का प्रश्न था
माता-पिता का,
परंतु सामान्य जन
नहीं भाग सकता ऐसे,
अपने परिवार के
भविष्य की चिंता होती है उसे,
जिम्मेदारियों के बोझ तले,
बेसुध होकर न जाने
कितने ही दीप
बुझ जाते है बोधिसत्व के!-
*राम मंदिर *
मंदिर- मंदिर चिल्लाने से ,..क्या मंदिर बन जाएगा ,.......
मंदिर है, उस राम लला का ,..तो मोदी क्या बनवाएगा ,.....
जिस परम पुरुष ने मर्यादा से,..जीवन का निर्वाह किया ,.....
पिता, गुरु की आज्ञा मान,... प्रतिज्ञा कर वनवास लिया ,.....
जिसको पद का मोह नहीं था,.,जिसके मन में लोभ नहीं था ,......
करुणा के सागर थे राम ,.. जिसने साम्राज्य को त्याग दिया ,.....
पग-पग में पुरुषार्थ भरी थी,, उस मंजिल के आदर्श थे राम ,.....
मची शोर है घर-घर में,., राजनीति भी बर्बर में,...
थी निर्माण गति, हर दल-बल में,.. पर है फंसी अदालत दल-दल में ,..
जब हर मानव के चित में राम ,. तो न्यायालय में क्यों लगी विराम ,....-
तुम्हारी आँख का काजल बनने के लिए
मैं राख होना चाहता हूँ,
यदि तुम मुझे माँग में भरो तो
बताओ कि मैं तुम्हारी सिन्दूरदानी में कैसे बसूँ
सिक्का या सिन्दूर बन कर
यदि तुम्हारा दम घुट रहा हो तो
तुम्हारी साँस-साँस बन सकता हूँ
लेकिन बताओ तो भला कैसे बनूँ
यदि मुझे बनना हो कुछ और
तो भी बताओ क्या-क्या बनूँ
कैसे बनूँ... ?
तुम्हारे लिए..!!-
सत्य को जानने के लिए सदैव बुद्ध नहीं बनना पड़ता,
ना ही चट करने होते है बुद्ध के द्वारा दिए उपदेश।
मैं स्त्रियों से कहने का प्रयास रहा हूँ कि...
तुम्हें नही जरूरत गृह-त्याग की,
ना ही आवश्यकता है कोई बुद्ध होने की।
क्योंकि तुम्हें बखूबी आती है भीतर की यात्रा...
तुम्हारा ह्रदय ही तुम्हारा बोधगया है,
और तुम्हारी आंखे ही निरंजना नदी!
तुम्हारा आत्मबल ही पीपल का वृक्ष है,
और तुम्हारा संघर्ष ही तुम्हारा बोधिसत्व!
सुप्रभात-
अपने मानवतावादी एंव विज्ञानवादी बौद्ध धर्म दर्शन से महात्मा बुद्ध दुनिया के सबसे महान पुरुष है
इसी दिन भगवान बुद्ध को बुधित्व की प्राप्ति हुई थी
आप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं-
मैंने जो देखा जिंदगी के बाग में
कुछ फूलों को सब्दों के माला में पिरो दिया ।
कुछ काँटों से छीलकर हकीकत बता दिया ।-
करोडो शोषितो, उपेक्षित वर्गों के मसीहा,
विश्व के सर्वश्रेष्ठ भारतीय संविधान के शिल्पकार,
सभी वर्ग की महिलाओं के अधिकारों के लिए हिन्दू कोड बिल लिखने वाले,
ओबीसी वर्गो को न्याय दिलाने क़ानून मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले ऐसे विश्वरत्न, भारतरत्न,सविंधान निर्माता, महामानव,बोधिसत्व, विश्व रत्न डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनके चरणों में मेरा कोटि कोटि श्रधांजलि,अभिवादन, प्रणाम 🙏🙏
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आज जरा फुरसत में हैं मैं और तुम
तुम मीठी नींदों में खोई हो।
तुम्हारा यूँ नींदों में सपने देखना।
यूँ सपनों में खोकर नींदों में मुस्कुराना
यूँ तुम्हें मद्धम-मद्धम मुस्काते देखना।
जैसे थम सा गया है वक़्त मेरा ,
घड़ी की सुईंया रुक गई हैं जँहा के तहाँ।
जरा आंखें तो देखो तुम्हारी मूंद गई है और भी थोड़ी सी ज्यादा।
और ये मुस्कुराहट, होठों से चलकर फैल गई है कानों तक।
तुम्हें कुछ पता भी है,ये बालों में लगाने वाली क्लिप
हटा कर तुमने जो अपने दूसरे हाथ में पकड़ ली है ना ,
उससे फैल गए हैं तुम्हारे बाल यूँहीं बेतरतीब से,
जिन्हें बनाती फिरती हो दिनभर अपनी माँ की कंघी से।
याद है इस क्लिप को खरीदते वक्त
कितने चाव से देख रही थी
क्लिप को,कभी दुकानदार को, कभी मुझे?
फिलहाल...........
मैं देख रहा हूँ तुम्हारा भोला सा चेहरा
मैं देख रहा हूँ कैसे सोई हो शांति से
एक रहस्यमयी मुस्कान लिये
जैसे बोधिसत्व पा लिया हो तुमने......
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ना जातीसाठी ना धर्मासाठी
त्यांचा लढा होता प्रत्येकाच्या हक्कासाठी
मानवता,समानता,वंचितांच्या हितासाठी
त्यांचा शेवटचा श्वास लढत होता बहुजनासाठी.
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