फिर एक दिन...
बेटी से बहू बन जाती है * एक बेटी *।
तब से,
ससुराल की लक्ष्मी बन जाती है * एक बेटी *।
उस दिन से ...
पराई कहलाती है एक बेटी ।
दुसरे के माँ-बाप को अपना मान लेती है *एक बेटी *।
दुसरे के परिवार को अपना मान लेती है * एक बेटी * ।
ना जाने कैसे कर लेती है * एक बेटी * ।
बेटी और बहू
दोनो का फ़र्ज बखुबी निभाती है * एक बेटी * ।
शायद इसलिए *
बेटी और बेटा समान नहीं ।
अन्तर है इन दोनो में...
क्युकी,
एक बेटा बन नहीं सकता , * एक बेटी * ।
एक बेटा बन नहीं सकता , * एक बेटी * ।
आखिर बेटी होती है * एक बेटी * ।
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कभी..... देखिए बेटियाँ तो होती ही हैं आँखों का तारा...
कभी बहू को भी सितारा बनाकर देखिए #
माँ के कदमों में तो होती ही है जन्नत...
सासू माँ के क़दमों में भी जाकर देखिए #
प्रेमिका तो सभी को लगती है प्रियतमा...
भार्या को भी प्राणप्रिया बनाकर देखिए #
धनवानों की आवभगत करते हैं सभी...
कभी दरिद्र को अतिथि बनाकर देखिए #
महिलाओं हेतु सभी को सहानुभूति है...
कभी पुरुष का दर्द भी झाँककर देखिए #
महिलाओं की बुराई तो सभी ढूँढते हैं...
कभी उनके त्यागों को आँककर देखिए #-
मार्मिक लघुकथा------------
बहु का घर मे पहली बार आगमन हुआ,
तब ससुरजी ने सास के कान में धीरे से कहा...
ध्यान से देखना,
चेहरा बदलकर बेटी आई है, बस इतना समझ लेना।-
अब अर्जी में उसकी किसी और की चलती मनमर्जी ,
अब वो इजहार की नहीं, राशन की लिखा करती कोई पर्ची!
वक्त ने अब पलट दिया हैं पासा कल तक जो चिङिया थी बाबुल की...
आज बशर्ते लाज बन गई हैं प्रियतम के आंगन की-
बेटी जब कुछ ग़लत करती है , तो
मां कहती है - नादान है अभी,,
सीख जाएगी ।
जब बहू कुछ ग़लत करती है , तो
मां कहती है - तू अब नादान नहीं रही
तेरी मां ने तुझे इतना भी
नहीं सिखाया ।
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मेरा सवाल उन बेटिओं से है जो
हमेशा ससुराल वाले से उम्मीद रखती है,
की उनको ससुराल में बहुँ नही बेटी बनाकर रखा जाए,
लेकिन कभी ये सोचा है कि बेटी अपने माइके में जितना
निभा लेती है उसी बेटी को ससुराल में निभाने में क्यों
मुश्किल होती है!
जब बेटी ससुराल को माइका सझने लगेगी
तो शायद कुछ बहुँ ससुराल में अपने आप को
बेटी महसूस करने लगेगी!!
हर जगह न बहुँ गलत होती है न ससुराल !🙏😊
🌹✍️🌹गुस्ताखी माफ 🙏😊-
बेटियां ❤️
खोई सी रहने लगी हूं ...
क्योंकि ख़ामोशी को खुद में खोल रही हूं ...
चुप भी रहने लगी हूं
क्योंकि लफ्जो को कहीं खो रही हूं ...
रोना नहीं चाहती आंखो से
क्योंकि दिल में आंसु सहेजने लगी हूं
शायद
खो रही हूं खुद को
क्योंकि मेरे दोनों घरों से पराई होने लगी हूं-
मां जैसी भला कौन खास होती है,
बहु बेटी नही होती ये बात बकवास होती है।
बेटी मानकर बहु से प्यार से बात करके तो देखो,
सिर्फ हुकुम चलाने से ही नहीं कोई सास होती है।।-