हिन्दी एक शब्द नहीं , इसमें समाहित है पूरी हिन्दी ।
कुछ स्वरों , कुछ व्यंजनों का मेल ।
रचा है पूरी दुनिया में अपना खेल ।
जन्म का पहला शब्द माँ , मृत्यु का आखिरी शब्द राम ।
जीवन के चक्र में भी शामिल है हमारी हिन्दी ।
बिना जाने , बिना सीखे ।
जुबान के साथ , दिलों में भी बसती है हमारी हिन्दी ।
शब्दों के तीखे बाण हो या शब्दों के नरम फूल ।
बिना औजार के भी , घाव और मरहम है हमारी हिन्दी।
प्रशासनिक पत्र हो या प्रेमियों का प्रेमपत्र ।
भावनाओं की भाषा है हमारी हिन्दी।
अतीत का ज्ञान हो या भविष्य की उड़ान ।
जीवन की पहचान है हमारी हिन्दी ।
कविताओं की तुकबंध कहो या, गीतों का लयबंध ।
संगठन की अपार क्षमता है हमारी हिन्दी ।
सरल कहो या कहो कठिन , सर्वप्रिय है हमारी हिन्दी।
जो लिखी जाती है वही ,बोली जाती है हमारी हिन्दी ।
हिन्दी की इन गहराइयों को ना जानने वालों के लिए ,
सागर से भी गहरी है हमारी हिन्दी ।
हिन्दी की गहराईयों में उतरने वालों के लिए ,
उनकी जान और अभिमान है हमारी हिन्दी ।
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