यह कलयुग का युग है प्रभु
यहां रावण राम के अंदर ही नहीं अपितु
सीता के अंदर भी विराजमान है-
रावण को तो हमने हर साल जलाया है,
पर जरा गौर करो......
क्या हुआ बुराइयों का अब तक, ज़रा भी सफाया है??-
राम और रावण, दोनो ही शिव के उपासक थे, लेकिन दोनों के भक्ति के आधार अलग अलग थे। रावण की स्वार्थ6, मान सत्ता, भोग - विलास और समाज को चोट पहुंचाने वाली, यानी आसुरी वृत्ति थी, जबकि श्री राम की साधना न्याय5, मर्यादा,शांति , सत्य और समाज कल्याण का पवित्र उद्देश्य के लिए थी। इसलिए रावण रूपी संकट जब -जब राष्ट्र की अस्मिता पर घिर आए , हम राम की भांति साधना के पथ पर अटल रहकर साहस और शौर्य के साथ देश की एकता अखंडता के लिए कटिबद्ध रहे,,,,,,
दशहरा यही बताता है।
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बन दीपक रौशनी फैला
सबके दिलों में प्यार जगा ,
रौशन कर के दुनिया को
सारे जग का अंधकार मिटा ,
बुराई का अंत कर के
नई उम्मीदों की आस जगा ,
बुराई पे अच्छाई की सदा जीत हो
रावण दहन के साथ ही इस दुनिया से बुराई का भी अंत हो,
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बुराई का अंत होगा जब सच्चाई का सर्वत्र बोल बाला हो जाएगा।
सच्चाई की सुंदरता बढ़ जाएगी, बुराई का मुँह काला हो जाएगा।
प्रत्येक व्यक्ति जो "सत्य का साथी" बन जाए इस संसार में साथी।
पाप का नाम-ओ-निशान मिट जाएगा और सर्वत्र उजाला हो जाएगा।
चंद सत्यवादी लोग ही काफ़ी है मेरे दोस्त "राम राज्य" लाने के लिए।
जो ऐसा हो गया, पाप की हालत खस्ता, गड़बड़ घोटाला हो जाएगा।
बच्चे को संस्कार, सभ्यता व संस्कृति परिवार व पित्रौ ही सिखाते हैं।
जो आजन्म वीरता देखेगा तो स्वतः ही वो हिम्मतवाला हो जाएगा।
जो जैसा व्यक्ति सोचता है वैसा ही अक़्सर उसके साथ हो जाता हैं।
मन में सकारात्मक भाव रखो, देखना हर पल सुरबाला हो जाएगा।
हर इंसान यहाँ अपने आज को अपने कल से बेहतर करना चाहता है।
बस जी तोड़ मेहनत करते जाओ देखना, जीवन हर्ष वाला हो जाएगा।
बुराई का नाश करने के लिए "अभि" स्वयं को भी पाप मुक्त करना होगा।
फिर आपका जीवन सदृश्य श्री राम, श्री कृष्ण और गोपाला हो जाएगा।-
न भूलो अपने आधार को,
ये आधार ही,सब कुछ बनाता हैं,
न हो यदि बुरा..........
तो अच्छे का नाम भी न आता हैं,
इसलिए तो कहते हैं........
राम की विजय का श्रये भी,
रावण को ही जाता है।।
Aastha Shukla91🖋️-
हम बहुत बुरे है यारो
इसलिए मुझे लोग अक्सर
बुरे वक्त में याद करते है
😢😢😢😭-
🙏🌹जय श्री राम🌹🙏
🌹🌹🌹🌹
ले अवतार भगवान विष्णु
श्री राम इस धरती पर आये थे
पाप-मुक्त करने धरती को
राम रूप में आये थे
दे शिक्षा सद-चरित्र की
वो बतलाने आये थे
जीत हमेशा सच्चाई की
होती बुराई की हार है
ऐसे थे श्री राम हमारे
उनको शत शत प्रणाम है
फिर से आओ नाथ हमारे
इस धरती को स्वर्ग बनाने
करने नाश दुष्टो का आओ
पाप मुक्त फिर से कर जाओ।
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