अटरिया से झाँको
ना सरेआम बलमा
सरे बाज़ार आतंक
ना मचाओ बलमा...
काज़ल भरी आँखें
तमंचा लागे...
मीठी-मीठी बातें
ज़हर सी लागे...
काहें खतरों से
खेलें हो सजना...
खुलेआम शिकार
ना करो बलमा...
अटरिया से झाँको
ना सरेआम बलमा...
सोच ही लिया कि
करोंगी घायल...
कैसे बचे कोई कि
खनकी जो पायल...
तेरी हर बात
कातिलाना...
ढेर हो गया
मुआ सियाना...
खुलेआम शिकार
ना करो बलमा...
सरे बाज़ार आतंक
ना मचाओ बलमा...-
"किसी बहाने से ही आ जाओ
मेरा दिल बुला रहा है
बेदर्दी बलमा मुझको ,
याद में रुला रहा है"-
आया तीज का त्योहार🎎
सखियों हो जाओ त्योहार
मेंहदी हाथों में रचा के
कर लो सोलह श्रंगार
सभी को हरतालिका तीज मुबारक हो।
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ठंडी बहुत है बिना झगड़े ही ओढ़ लेना बलम संग रजाई
ताकि सहनी न पड़े किसी को ऐसी सर्दी में पिया की जुदाई ..!!
कहीं ऐसा न हो ठिठुरती ठंड में लेकर तकिया और रजाई
छोड़कर तुम्हें किसी और के साथ भाग जाए बलमा हरजाई ...!!-
जब भी उनकी याद आए
तो करवट बदल लेते है
सीली सीलि विरह के ये आग
दिल में सिमट लेते है।
बड़ी बेदर्दी है
बलमा...
हम तो बस उनकी नाम
लेकर ही जिंदगी
जीलेते हैं।-
सनम बेरहम,सदा सुनता जा
मुझे ना सता,दिल ना दुखा
कहाँ जा रहा ,मुझे छोड़ के।
अरे बेवफा,अपना मुंह मोड़ के
वादा तोड़ के,ये घर छोड़ के
कहाँ जा रहा ,नाता तोड़ के।
मुझे ना सता,मुझे ना रुला
चली जाउंगी ,ये जग छोड़ के
कहीं अब ना जा, मुंह मोड़ के।
ठोकर ना लगा,अपने पग से
तू पग ना हटा,मेरे मग से
जाओ न कही ये घर छोड़ के।
बरस जायेगी ,अँखियों से घटा
किस ने लिया है ,तुझको पटा
पलट के ना जा, मुझे छोड़ के।
कहीं लग ना जाये, तुम्हे मेरी आह
जला दे कहीं ना ,तुझे मेरी हाय
डरो बालमा मेरी हाय से।
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