Sumit Mandhana दी घायल शायर   (सुमित मानधना 'गौरव' सूरत)
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Joined 26 May 2019


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सन्नाटा अब अच्छा लगता है।
चुप रहना ही अच्छा लगता है।
दफन करके यूँ ग़म को सीने में
लबों को सीना अच्छा लगता है।
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'💔

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सब कहते हैं सच बोलो,
शब्दों के मोल को तोलो,
मौका मिलें जो बोलने का
सोच समझकर मुँह खोलो।
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎

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जिनकी वज़ह से हुए हम अफ़सुर्दा,
चाहते तो कर सकते थे उन्हें बेपर्दा!
सीने में राज हमने कर लिया दफन,
अपने हाथों से पहन लिया है कफन!
लबों पर अपने अब खामोशी है छायी,
वफा के बदले तन्हाई हिस्से में आयी।
उस मनहूस घड़ी को हम है अब कोसते,
हमने क्यों चाहा उसे यही है बस सोचते!

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प्यार वह मुझसे करती है,
इज़हारे इश्क़ से डरती है,
फिदा है मुझ पे इस कदर
मेरी हर बात पर मरती है!
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'

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चूड़ियों की छन-छन में,
पायल की खन-खन में,
तन-मन से मैं समाया हूँ
प्रियतमा तेरे जीवन में।

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तुम यूँ ही पास बैठी रहो मैं बस घंटों तुम्हें निहारता रहूँ,
तुम अपनी बात सुनाती रहो मैं चुपचाप तुम्हें सुनता रहूँ।

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कलम और कविता का
रिश्ता सच में ऐसा है,
जन्मो जन्मांतर के अटूट
पवित्र बंधन के जैसा है।
हृदय व मस्तिष्क में जो
विचारधारा जन्म लेती हैं,
कलम ही उन्हें तत्पश्चात
कविता का रूप देती है।
कविता से ही कलम को
मिलती एक पहचान है,
कलम ही कविता की
बढ़ाती हर पल शान है।
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'


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हर पल तेरी याद मुझे सताती है।
जुदाई की आग में मुझे जलाती है।
भूलना चाहता हूँ दिल ओ दिमाग से,
बातें तेरी ज़हन में फिर लौट आती है।
💔✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😔💔

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तन्हा तो नहीं मैं तेरी यादें मेरे संग में रहती है,
तेरी जुदाई का ग़म दिन रात ये आँखें सहती है!

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ज़माना साथ होगा भले तेरे फिर भी किसी में दम नहीं,
माँ बाप की दुआएं लेकर चलता हूँ मुझे कोई गम नहीं।

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