ज़मींदार है, साहुकार है, बनिया है, व्यापारी है,
अंदर-अंदर विकट कसाई, बाहर खद्दरधारी है !-
6 FEB 2021 AT 11:25
7 FEB 2020 AT 6:28
अर्ज किया है..
सुबह का भूला शाम को आये,उसे भूला नहीं कहते
बनियों का पेट निकल आये ,उसे मोटापा नहीं कहते।
😀😀-
23 JAN 2022 AT 0:19
ना रो
रिश्ते की दरार में,
ना मुझे
हम दर्दी दिखा ।
ना लगा
सीलन दीवार में,
ना बनिए
का खर्च बढ़ा ।
❤-
11 JAN 2020 AT 17:39
भूलता वैसे नही किसी को , तू तो भला पहला इश्क है गहरा
क्या करूं साहब , रगों में बनिया रंग है ठहरा...-
27 JUN 2020 AT 9:07
लंबी कविताएँ
लिखती नहीं मैं...
बनिया हूँ
कम शब्दों में
भावों को समेट कर
शब्द बचा लेती हूँ-
22 JUN 2021 AT 15:06
बनिया बोला अब उधार नही मिलता,
सरकार कहीं अब हर अधिकार नही मिलता।।-
12 JAN 2021 AT 23:39
तुम से शुरू तुम से ही खत्म होते,
स्नेह संबंध बड़े होते हैं महंगें...
और कहते हो तुम,बनिया बचाते हैं पैसे...
-