मेरी बकवास पर वो वाह करते रहे
मेरी कलम को गुमराह करते रहे-
आज कुछ लिखने की तमन्ना है
आज कुछ पढ़ने का इरादा है
दोस्तों हो सके तो माफ करना
आज कलम में बकवास थोड़ी ज्यादा है-
बहुत भीड़ थी उस दिन, ढेरों ख्याल थे,
पकड़ तो मजबूत ही थी दोनों के जज़्बातों की
लेकिन कब तक, आखिर कब तक
पकड़ बनी रहती,
ख्यालों के धक्कम धक्के ने
पकड़ थोड़ी कमजोर कर ही दी थी कि
अचानक वो गलतफहमी की दीवार जिसकी नींव
कुछ दिन पहले रखी जा चुकी थी,
जो आज पूरी सी हो गई थी,उससे ठोकर खाकर
उनका रिश्ता मुंह के बल गिरा....
और शायद उस ठोकर के चोट से
दूरी बही थी उस दिन....
रिश्ते ने तो उसी पल दम तोड़ दिया था,
वो ही पागल थी जो आज तक
इस सच को अपना नहीं पा रही थी....
बचता भी कैसे ??
कोशिश सिर्फ एक ने ही की थी...-
🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁
तू बेशक लिबास ओढ़ ले किसी और का
बेशक लिबास ओढ़ ले किसी और का
तेरे दिल में हमेशा मैं ही रहूंगा
अब इसे कब्जा कहो या इश्क तुम्हारी मर्जी
🙂
🌹🌲🌹🌲🌹🪴🌹🌲🌹🌲🌹
-
आज खुद का लिखा पढ़ रहा था।
सोच रहा हूँ मुझे अब तक पढ़ कैसे रहे थे लोग।-
कुछ नज्में इतनी दफा छेड़ी गयीं
कि हर जुबां पर फिसलते-2
किबिल्ली-सी बन गयीं...°°-
मुझे लगता था दुनियां में मुझ सा कोई एहसास नहीं मिलता
मगर फिर याद आया ढूँढने से भला क्या नहीं मिलता,,
ख्यालों से शब्दों तक मैं रहूंगी सदा जिंदा तेरे जहन में,,
यह वहम "एहसास ए इश्क़" में भला कैसे नहीं मिलता,,
बिना अंजाम के मोहब्बत का आगाज कर लिया, तुम ने
पागल एहसास दिल के बदले हर बार दिल तो नहीं मिलता
सुनो मोहब्बत की ग़ज़ल मेरी वो टपरी है जहाँ पर हमेशा
एहसास ए वफा तो मिलती है पर कोई धोखा नहीं मिलता
-
पहला प्यार, प्री मानसून शॉवर की तरह होता है।
ये आम की फसल को पकने में मदद करता है ताकि जब असल में मॉनसून आए, हमें कच्चे आम न मिलें।-