हद है ये कि मुझ फूहड़ पे सारा ज़माना हँसता है
हद ये भी कि मेरा लिक्खा पढ़ के वाह वाह करता है-
5 NOV 2018 AT 18:40
12 SEP 2021 AT 10:50
देता नहीं जो पहरने ओढ़ने पे अपने यूँ ध्यान।
जमाने की नजर में होता है वो सदा फुहड़ समान।
चमक दमक से भरी पड़ी इस दुनिया जहान में, यारों -
माथा देख के टीका करता आया है यहाँ इन्सान।
-
8 JAN AT 1:15
पहले कवि सम्मेलन में शुद्ध हास्य देखने और सुनने को मिलता था, अब उसकी जगह जोक्स और चुटकुलों ने ले ली है। इतना ही नहीं पहले सत्संग में लोग भजन कीर्तन और प्रभु का स्मरण करने जाते थे, अब वहाँ भी हँसी मजाक और फालतू की प्रश्नोत्तरी होने लगी है। जिसे कॉमेडी के नाम पर सोशल मीडिया में परोस दिया जाता है!
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎-