खुशियाँ छोटी ही सही, उनके संग चलते जाओ.,
जो करते है स्नेह आपको उनको तंग करते जाओ.,
कोई साथ दे या ना दे, अपने लिए मरते जाओ.,
ज़िन्दगी खूबसूरत रंगों से भरी पड़ी है.,
जीवन के तस्वीर में रंग भरते जाओ.,
दुनिया कुछ भी करे, आप अपने हिस्से की नेकी करते जाओ..
Suramya Singh-
गुनाह तो बहुत किए नेकी का पता नहीं
तस्लीम हम तस्लीम करते है औरो का पता नहीं-
अपने हिस्से की नेकी
करते रहो ,
वही तुम्हारे परमधाम जाने का
मार्ग बनेगा..-
यूँ ही नही चलती
जिंदगी
ग़मो के दरियाओं
को हँस
के पार करना पड़ता
है-
दुनिया में उसका कभी भला नहीं होता
जो माँ-बाप के रास्तों पे चला नहीं होता
गुनेहगार और ज़ालिम भी कहलाता है
अच्छी तरबियत से जो पला नहीं होता
गुनाहों की आग में डूब चुका है इन्सान
जिस्म बह जाता है बस जला नहीं होता
अच्छी सीरत को पाना आसान काम नहीं
ईमान भीग जाता है बस गला नहीं होता
इबादत जो करते हैं वो परेश़ान नहीं रहते
ऐसे लोगों का कोई मुकाबला नहीं होता
अंजान रिश्ते जाँच परख कर ही जोड़ना
हर किसी का हाथ नेकी से मला नहीं होता
ज़िन्दगी ख़ुदा की ने'अमत है "आरिफ़"
मुर्दों का कभी बुलन्द हौसला नहीं होता
"कोरा काग़ज़" लेकर नहीं लिख सकते
कलम से ज़िन्दगी का फैसला नहीं होता-
तो मैं दे चुकी हूँ औरों को ,
अब तो सिर्फ गुनाह बाकी है मेरे
जिन्हें सम्भालकर मैं रोज अपनी
मौत की फ़िकर करती हूँ!-
ना बुरा किसीका करो ना बुरा कभी देखो !!
आज तुम किसी के लिए बोलोगे
तो कल दूसरे तुम्हारी तरफ से लड़ेंगे !!!-
लोगो तक नेक काम पहुँचाना जरुरी है !
' किसने किया ?' ये आवश्यक नहीं है !!!-
ये जो हमपर ख़ुदा का कहर है
किसी की बद्दुआ का असर है
गुनाहों की माफ़ी मिलेगी कैसे
सजदे में अब किसी का न सर है
मोहब्बत दिलों में आये कहाँ से
हर तरफ़ सबकी बुरी जो नज़र है
ज़िन्दगी मिली इबादत की ख़ातिर
जिहालत में करता इसको बसर है
मंज़िल कब तक रुकेगी ओ गाफ़िल
बदी की गलियों से तेरी जो गुज़र है
मिलती नहीं ज़िन्दगी हमें बार बार
ख़ुशियों में फ़िर किसकी कसर है
इज्ज़त न बिकती दुकानों पर "आरिफ़"
इसकी ज़रा सी तुझे क्या अब ख़बर है
जिस रिश्ते को "कोरा काग़ज़" समझा
उसी रिश्ते ने पिलाया धोख़े से ज़हर है-
मेरे रसूल तेरी ये कैसी मेहरबानी है
चलता है जो नेकी पर उसी की आंख में पानी है ..!!
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