©राजीव कटारा
-
मयना सत्य सुनहु मम बानी। जगदंबा तव सुता भवानी॥
[ हे मैना! तुम मेरी सच्ची बात सुनो, तुम्हारी यह सुता (पुत्री) भवानी साक्षात जगदम्बा है। ]-
नारद कर मैं काह बिगारा। भवनु मोर जिन्ह बसत उजारा॥
अस उपदेसु उमहि जिन्ह दीन्हा। बौरे बरहि लागि तपु कीन्हा॥
[ मैंने नारद का क्या बिगाड़ा था, जिन्होंने मेरा बसता हुआ घर उजाड़ दिया और जिन्होंने बिटिया उमा को ऐसा उपदेश दिया कि जिससे उसने बावले वर के लिए तप किया ]-
सत्यस्य वचनं श्रेयः सत्यादपि हितं वदेत्।
यद्भूतहितमत्यन्तं एतत् सत्यं मतं मम्।।
[ यद्यपि सत्य वचन बोलना श्रेयस्कर है तथापि उस सत्य को ही बोलना चाहिए जिससे सर्वजन का कल्याण हो। मेरे विचार से तो जो बात सभी का कल्याण करती है वही सत्य है। ]-
नारद जी एक बार स्वर्ग व नर्क के यात्रा पर गए तो नरक में हर तरह की सुविधा देख दंग रह गए।
सारी सुविधाओ के बाबजूद लोग वहाँ , कमजोर, निर्बल व उदास दिखे । गौर करने पर देखा कि हर व्यक्ति के हाथ मे बड़ा सा खाने का चम्मच बंधा था जिस से वो चाह कर भी खाना नही खा पा रहे थे ।
स्वर्ग में भी यही स्थिति देख नारद जी और भी अचंभित हुए की फिर अंतर क्या रहा दोनों में ?
क्या यहां हाथ मे बड़ा चम्मच नही बांधा है ? लेकिन नही यहां भी चम्मच बंधा है तो फिर भी लोग स्वर्ग में खुश, तंदरुस्त क्यों है ?
यही बात समझ लो तो जीवन का सार सझ जाओगे।-
'सूर्य गबन'
छोटा सा था जब बजरंग,
करता था वो सबको तंग ।
जैसे होते सारे बच्चे ,
दिल के सच्चे, अकल के कच्चे ।।..
(पूरे प्रसंग का आनंद अनुशीर्षक में ले)
कविता रुचिकर बनाने की कोशिश में
थोड़ी लंबी हो गयी है अतः धैर्य रखें 🙏-
हर नारी में लक्ष्मी का रूप रहीं होता
तो
कुछ नर भी नारद होते हैं
हर नर में भी नारायण नहीं होता-
✍️नारद✍️
झोली से मदारी यूं मुकद्दर बनाएगा
जो गिर चुका वही तो गिरे को उठाएगा
✍️✍️
अंधों की एक फौज ने ऐलान कर दिया
ये कदम पड़ेगा जहां, रस्ता कहलाएगा
✍️✍️
हीरे सा मुकद्दर तो कोयले में उगेगा
कालिख जो सहेगा वही हीरे को पाएगा
✍️✍️
बातें बड़ी-बड़ी थीं या रातें बड़ी-बड़ी
वो जिसके शहर गुजरी वो किस्सा बताएगा
✍️✍️
किसने कहा किससे कहा और किसने सुन लिया
हर बात का मतलब विनय नारद बताएगा-