आसमंताला भिडणाऱ्या वृक्षांच्या घनदाट जंगलात
काही रोपटी आशेची एक उमेद मनी बाळगत
अवतीभवतीच्या काळोखाला बाजूला सारून
प्रकाशाच्या दिशेने अखंडितपणे कुच करीत असतात
आणि असाच काहीसा संघर्ष समाजाच्या विविध स्तरातील
आमच्या माताभगिनी करीत असतात त्यांच्या या
दिव्यस्वरूपाला, दिव्यशक्तीला आणि सबंध सर्वव्यापी, सकल-चराचर
निर्माण-स्रोत स्त्री- तत्वाला माझा शिरसाष्टांग नमस्कार...
"जागतिक महिलादिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा!"-
माँ पुकार
निर्विवाद,,,,
कर दुलार
करत याद
बार बार
सुख विषाद
संस्कार,,,,,
उपज ख़ाद
पर बिमार
अब निषाद
नमस्कार,,,
जिन्दाबाद !!-
जिसने आंखे कभी यूं दिखाई नहीं।
उसने आंखे मिलाकर झुकाई नहीं।
बात अब क्या करे उसकी फितरत की हम।
उसके ज़ुल्मो की कोई सफाई नहीं।
बस इसी बात से दिल परेशान है।
मेरे जख्मों की कोई दवाई नहीं।
जाने ही कितनी मैं महफिलों में गया।
पर किसी को ये हालत बताई नहीं।
मेरे जीने से तो अब मै हैरान हूं।
मौत आकर के भी मौत आई नहीं।
और रखूंगा हमेशा ही घर में दफ़न।
उसकी साड़ी जो अब तक जलाई नहीं।-
गुरू आपण आहात म्हणून मला मार्ग दिसतो
गुरु आपण आहात म्हणून या जगास आधार आहे
गुरु आपण आहात म्हणून मनाला चांगले वळण आहे
गुरु आपण आहात म्हणून मी नमस्कार आनंदाने करतो-
कहत कठिन समुझत कठिन साधक कठिन बिबेक।
होइ घुनाच्छर न्याय जौं पुनि प्रत्यूह अनेक।।
Please read caption🙏-
गुज़र गयी रात,
ख़त्म हुआ इन्तज़ार दोस्तों.
आज की मुस्कुराती सुवह का,
प्यार भरा नमस्कार दोस्तों.
खिल गये है फूल उपवन में,
भ्रमर करने लगे हैं अब गुंजार दोस्तों.
मुस्करा रहा है सूरज, बादलों की ओट से,
पडने लगी हैं किरनों की फुहार दोस्तों.
आज की मुस्कुराती .....
घोसलों को करके कूच,
पंछियां कर रहीं हैं वन विहार दोस्तों.
ज़िन्दगी की यह नयी सुवह,
लायी है ख़ुशियों की बहार दोस्तों.
आज की मुस्कुराती ....
क़ुदरत ने दिया है आज फिर से,
हमे ‘जिंदगी’ का नया उपहार दोस्तों.
फैला लो अपनी बाँहें, लगा लो गले,
जी भर कर उससे कर लो प्यार दोस्तों।।
आज की मुस्कुराती..
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डर लगता है दुनिया का
घर के बाहर भी निकलने से
निकल गए थे एक दिन जो
नमस्कार करने वाले भी कम नहीं थे
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सुबह का प्रणाम सिर्फ परम्परा नहीं, बल्कि
अपनेपन का एहसास भी है ,, ताकि
रिश्ते भी जीवंत रहे और यादे भी बनी रहें..!!
🙏आपका दिन शुभ हो🌷🙏-