जहाँ प्रेम है वहाँ कृष्ण है,
और जहाँ कृष्ण है वहीं प्रेम है....!
चाहे वो वृंदावन की रास हो,
या द्वारिका की नगरी....!-
फिज़ा में प्रेम रंगत के ही रंग उड़े है।
राधे कृष्ण एक दुजे के साथ चले है।
बांसुरी के धुन पर मन नाच नचे है।
प्रेम मे तुमने विरह,वेदना,स्नेह रचे हैं।
मोर मुकुट तेरे माथे पर जो जड़े है।
नयन देख सब......
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मन मथुरा, तन द्वारिका में जा खड़े हैं।
~~शिवानन्द-
माधव..
मोरे प्रितम श्याममनोहर जा बसे,
अतिदूर बन द्वारिका रो प्राणनाथ,
हुए सरकार हमारे पिया परदेसी,
कैसे भाव हुण्डी पहुँचे कुंजबिहारी,
लिख-लिख पतियां हम थक हार जी,
भेजे पलपल भावतरंग मोरमुकुटधारी,
राजाधिराज क्या बन हुए अतिदूर प्राणनाथ,
हे गोविंद..
राजा सावन की आई बहार सावन बरसे,
सब पधारे पर ना आये गोरी मनमीत जी,
झुलणहार सरकार हम तो रहे मन मार रहे,
राजाधिराज कैसी ये प्रेम प्रीती प्राणनाथ,
राजाधिराज बुरी थारी प्रेमकृपा चाकरी,
अर्ज सुणो मोरी प्यारी किशोरी वन्देश्वरी,
आप पधारो गोवर्धनधारी रणछोड़ नाथ,
पधारो जी गिरधरगोपाल साँवरे सरकार..
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Prem toh kishna k rag rag mey hai ,
Tabhi toh gopiyaan raas rasili ,
Radhika deewani hai .-
माधव.. कोई कहे वृन्दावन मथुरा में बसते,
कोई कहे बसते द्वारिका मेरे द्वारिकाधीश..
हे गोविंद..
आप तो बसते सब के ह्रदय मनमंदिर,
बन अधिपति दाता दयाल दयानिधान,
दौड़े चले आते हो मेरे साँवरे आप तो पल में,
जो भी पुकारे प्रेम करुणा से करुणानिधान को..✍🏼🐦-
मेरे प्रभु साँवरे सरकार,
बीत जाये जीवन आपके चरणों में,
एक आस रहे बस श्री चरणन की,
आपके के नाम का बस
दिन दिन चढ़ता नशा रहे
आप के द्वार आने की
बस एक मन में आस रहे
आ बस आपके द्वार हम खड़े रहे,
मेरे तन मन की रसना
बस आपको ध्याए
वृन्दावन की गलियों की
तो द्वारिका के भवन की
मन मे बस एक प्यास रहे
मेरे गिरधरगोपाल, मेरे द्वारिका के नाथ..
ॐ श्री द्वारिकाधीशाय नमो नमः
जय श्री गोपीनाथ जी की सा 🙏🏻🌺🐦🌺🙏🏻-
माधव..
मुझ पर भी कर दो दया की नजर साँवरे..
आप के दर दरबार आये ले बड़ी उम्मीद..
आप को बुलाती हमारी श्री राधेराणी..
आप की राह देख रहे गोप गोपियां..
हम को आ बंसी धुन सुना जावो बंसीधारी..
कुँजगली बिन है आप बिन सुनी कुंजबिहारी..
मेरे नटवरनागर श्याममनोहर आप पधारो..
बंसी प्रेम प्रकाश रस रास किया रासबिहारी..
श्यामसुंदर मोरमुकुटधारी मुरलीधर पधारो..
आप तो बन द्वारिका के नाथ द्वारिकेश..
हम से हुई बहुत दूर अतिदूर करो दया नजर..
अपनी मन की व्यथा किस को कहे हे श्यामसुंदर..
आपकी शरण आये हैं हम नाथ हमारे..
आप पधारो तो चित्तमन में चित्तचोर..
हम तो आप की आस में है हे साँवरे सरकार..
✍🏼🐦-
मेरे प्रभु साँवरे सरकार,
सब छोड़ शरण आपकी आ जाता
पर आपका पता मालूम नहीं
मोहे बता दो वही आ कर मैं
खोजू मेरे साँवरे सरकार
मैं मूढ़मति अज्ञानी जानू
ना कैसे आपको ध्याऊँ
सब छोड़ शरण आपकी आ जाता
पर आपका पता मालूम नहीं
कभी वृंदावन की कुंजगलियन में,
कभी वंशीवट के उपवन में
कभी मथुरा में जात बिराजो
कभी बन जावो द्वारिका के नाथ,
सब छोड़ शरण आपकी आ जाता
पर आपका पता मालूम नहीं
इक़ बार बता दो मेरे श्यामबिहारी
बस खोज सकू ऐसा जतन बता दो
अपने ह्र्दय मनमंदिर में साँवरे सरकार
श्री बांकेबिहारीजी श्री द्वारकाधीश घनश्याम 🙏🏼🌺🐦🌺🙏🏼-
न शर्माना हो सुदामा जैसा
न घबराना हो श्री श्याम जैसा
क्या मेरा है क्या तेरा है
मित्रता में ये सब देखना कैसा-