धन्य है वो लोग
जिन्होंने लिखी किताबें
जो देती है ज्ञान
दुनिया को
प्रत्येक भावना का-
लिखने लगा हू... read more
वो बिछड़े थे
तो ये घरवालों की सजा है,
पर वो मिले दोबारा
इसमें उस रब की रज़ा है-
ये कलयुग का समय है
धैर्य रखोगे तो
सब सुख पा लोगे
अधीर होकर
सब कष्ट बुला लोगे-
जन्मदिवस विशेष
मैं जो था कभी
वो ना रहा मैं
बेरंग सी इस दुनिया में
सदा गुलजार ही रहा मैं-
धर्मों में फैली यहां जंग है
जातियों में भरी नफरत है
जो कर दे ये सब खत्म
उस अमृत की देश को जरूरत है
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अब लड़कियों को ही नही
लडको को भी है
इस समाज में रक्षा की जरूरत
अब भाइयों को
वचन देने की बारी है हर बहन की
न कोई भाई झूठे फेमेनिज्म के नाम पर
पिटने पाए राह चलते सड़कों पर
न कोई भाई झूठे फेमेनिज्म के नाम पर
खाए थप्पड़ बिन गलती के बस और ट्रेन में
न कोई भाई झूठे फेमेनिज्म के नाम पर
सहे शोषण किसी लड़की को नकारने पर
न कोई भाई झूठे फेमेनिज्म के नाम पर
भुगते सालों की सजा झूठे दहेज के लिए
न कोई भाई झूठे फेमेनिज्म के नाम पर
रहे अलग शादी के बाद अपने परिवार से
अब भाइयों को
वचन देने की बारी है हर बहन की-
छोटे ही अच्छे थे हम
पैसे न सही
कलाई पर राखी तो होती थी
बड़े होकर तो राखी भी
डाक से मिलती है-
तुम त्यागते हो मात्र प्रेम जिसके लिए
वो त्यागता नही प्राण
पर धीरे धीरे सांसे घुट जाती है
उस निष्प्राण शरीर में ही,
उस इंसान की आत्मा जिसने
कभी कर दिया था समर्पित
स्वयं को तुम्हारे अधूरे प्रेम के लिए
वो मर जाती है अमर होते हुए भी
एकमात्र तुम्हारे अधूरे प्रेम के लिए
शिवम् सैनी-
न शर्माना हो सुदामा जैसा
न घबराना हो श्री श्याम जैसा
क्या मेरा है क्या तेरा है
मित्रता में ये सब देखना कैसा-