आरती लिये तू
किसे ढूंढता है मूरख,
मन्दिरों, राजप्रासादों में,
तहखानों में?
देवता कहीं सड़कों पर
गिट्टी तोड़ रहे,
देवता मिलेंगे खेतों में,
खलिहानों में।-
समझने लगा हूँ
कि देवता हैं कौन।
हर परिस्थिति में
रहते जो मौन।-
मनुष्य क्षमा कर सकता है, देवता नहीं कर सकता। मनुष्य हृदय से लाचार है, देवता नियम का कठोर प्रवर्तयिता है। मनुष्य नियम से विचलित हो जाता है, पर देवता की कुटिल भृकुटी नियम की निरंतर रखवाली करती है।
मनुष्य इसलिए बड़ा होता है क्योंकि वह गलती कर सकता है, देवता इसलिए बड़ा है कि वह नियम का नियंता है।-
जाने किस देवता के लिये हैं तेरे शब्दों के फूल
महक आ रही मुझ तक तो क्या है मेरी भूल-
हम किसी को देवता तभी तक बनाते हैं,
जब तक हमें मंदिर से बाहर निकाल दिए जाने का डर रहता है।-
तुम जिसे छल रहे हो, वो तुम्हें छल रहा है।
यहाँ देवता के मन में भी शैतान पल रहा है।-
लगाए घूमते रहते हैं लोग
मन में कड़वाहट
चेहरे पर मुस्कुराहट रखते हैं लोग
दिन रात संग-संग रहते हुए भी
पीठ में खंजर घोंपते हैं लोग
पहचानना बड़ा मुश्किल है
दूसरों को बेवकूफ
खुद को होशियार समझते हैं लोग
शातिराना अंदाज होता है इनका
देवता बने घूमते हैं लोग
चेहरे पर चेहरा...-