QUOTES ON #दुर्योधन

#दुर्योधन quotes

Trending | Latest
17 FEB 2019 AT 21:03

जब माँ उसे कर देगी त्याग
जात धर्म हो जाए अभाग,
जो अकुलाए उस कर्ण को
उसके सीने स्वर्ण को
न मिले आदर न वास,
कर्ण किससे रखे आस?
सूत पुत्र होने पर जो
वो हास्य, घृणा का पात्र हो
तो दुर्योधन आएँगे
कर्ण कौरव होते जाएंगे।
कर्ण कौरव होते जाएंगे।

-


22 FEB 2021 AT 23:12

जौ पै मूढ़ उपदेस के होते जोग जहान
क्यों न सुजोधन बोध कै, आए स्याम सुजान

[ यदि मूर्ख मनुष्य संसार में उपदेश के योग्य होते तो परम चतुर भगवान श्रीकृष्ण दुर्योधन को क्यों न समझा सके ? ]

-


12 SEP 2022 AT 20:04

no one is good
No one else is bad.
just the things that people do,
who will win"
People will say that he is good.

..

-


23 JAN 2022 AT 23:52

-


23 DEC 2021 AT 17:14

-


23 JAN 2022 AT 18:03

{'असुर' जाति}

यद्यपि मैं मनुष्यों और स्वर्गदूतों की भाषा बोलता हूं,
पर मेरा व्यवहार आपकी अंतरात्मा तक को पीड़ा दे सकता है।
मैं ज्वलित अग्नि के समान रहता हूँ।
मैं सभी रहस्यों को समझता हूँ,
और सभी ज्ञान;
धन नहीं है,
मैं कुछ भी नहीं हूँ।
हालांकि देने पर आऊं अपना सारा माल गरीबों को खिलाने के लिए दे दूँ।
प्यार से मांगो यद्यपि मैं अपने प्राण दे दूं।
और अगर ना देने पर आऊं युद्ध शुरू कर दूं,
पर सुई की नोक जितनी भी चीज ना दूँ..
मैं भूख सहन करता हूँ,
असुर के राजा वा असुर के देवता महादेव को पूजता हूं।
और अब विश्वास, आशा, धन, ये तीनों स्थिर हैं;
लेकिन इनमें सेे मेरे लिए सबसे बड़ा कुछ नहीं।

-


2 JUL 2024 AT 23:19

भानुमति ने सोई हुई बेटी को रजाई से ढापा
उसके चारों ओर चुप्पी का गहरा आवरण था
एक-एक क्षण भारी पड़ने लगा तो
भानुमती नि:शब्द द्वारा की ओर बढ़ी
वहाँ अंधकार को चीरते हुए दुर्योधन आ रहा था
भानुमति दुर्योधन को छूना चाहती थी,
किन्तु अंतिम चरण में दुर्योधन ने अपना कदम पीछे खींच लिया
"भानु मैंने कुछ भी अनुचित नहीं किया
दुर्योधन ने मधुर स्वर में कहा!
पतिदेव आप क्या कह रहे हैं?
"वह इसी के योग्य थी "वह स्त्री इसी के योग्य थी
भानुमति ने दुर्योधन की आंखों में झांका
संभवत संसार के लिए वह सबसे दुष्ट व्यक्ति होगा
किन्तु मेरे लिए संसार में इस पुरुष जैसा संभवत कोई नहीं,
दुर्योधन उसके निकट आया और उसका सर अपनी छाती से लगा दिया
वह संसार में प्रलय में आगमन इसी तरह
अपना सर उसके छाती पर टिकाए रखना चाहती थी।...
..

-


17 MAR 2017 AT 6:01

नाम द्रौपदी था उसका
कहलाती पांचाली थी
पाँच पतियों का प्यार मिला
फिर भी अंतस से खाली थी

अक्षत कौमार्य का मिला वरदान
जो बना उसका अपमान
उससे साहचर्य के अवसर का
दुर्योधन को रहता ध्यान

पांडवों ने द्यूत में हारा
अपमानित कौरवों के द्वारा
कृष्ण को फिर उसने पुकारा
कृष्णा के वो बने सहारा

दुशाशन ने खिंचे थे केश
मन में उसके था ये द्वेष
उसके रक्त से सींच कर ही
बाँधे उसने फिर ये केश

-


21 JUL 2017 AT 19:41




दुर्योधन अपनी ही महत्वकांशा में मरता रहा
कोई विदुर की तरह शंख बजाये तो भीष्म बने





-


6 FEB 2020 AT 16:08

इंद्रप्रस्थ के मायाजाल में फँसकर
दुर्योधन हँसी का पात्र बना,
अंधे का पुत्र अंधा कहकर
द्रौपदी ने उपहास किया..
मन में रखकर पीड़ा
दुर्योधन बहुत कुपित रहा,
अवसर ताक में रखकर
भरी सभा में
द्रौपदी का अपमान किया..
वर्तमान भी कुछ ऐसा है..
पहले तौलो फिर बोलो
कब कहाँ किसे ठेस लग जाये,
दुर्योधन दुःशासन बैठे हर मोड़ पर..
बिखरे आबरू..
सभा में बैठे अपने और गणमान्य
आज भी देखते रहेंगे शर्मसार,
कृष्ण कहाँ आते हर शोर पर..!

-