यूं तो थार मरुस्थल हूं मैं,
तुम्हें सोचते ही ब्रह्मपुत्र में आया
उफान बन जाती हूं।-
प्यार को इतना तरसा मैं कि प्यार हो गया।
बरसा इतना बरसा मैं कि थार हो गया।-
यूँ तो नदी किनारे का दलदल हूँ मैं
छूने को तुम्हारे पाँव महानदी का तूफ़ान बन जाती हूँ-
आसमान के प्रेम में
देवदार हो जाना !
माना ..
कोई आम बात नहीं !
लेकिन ..
आसमान के प्रेम में
तपते थार के रेतीले धोरों पर
उसी देवदार का
गगनचुम्भी नागफ़नी हो जाना !
प्रेम को .. अमर बना देता है ..
और ..
प्रेमियों के .. पुनर्जन्म में
यकीं .. पुख्ता कर देता है।-
किताबों की अलमारी में
धूल सनी किताबें
बेहद बेहद पसंद है मुझे
ये मुझे
मेरे थार की मिट्टी की महक से
सफे दर सफे रूबरू कराती है
ऐसे लगता है .. जैसे
अभी अभी रेगिस्तान से होकर लौटी हैं
और जूतों में भर भर कर रह गई है
मिट्टी मेरे रेगिस्तान की
..
किताबों को निकाल कर इन्हें बस झाड़ लेती हूँ
जिससे भर जाए मेरे पूरे कमरे में महक
मेरी मिट्टी की
..
किताबें और मिट्टी
कह सकते हैं .. मेरी सोच में रंग भर देती है
मेरे जीवन .. मेरे थार .. मेरे रेगिस्तान के
किताबें मेरी कहानी है
मिट्टी मेरी प्राणवायु-
अरुणाचल के पहले सूरज से
मैंने एक उम्मीद मांगी
जो दूर कहीं थार के रेगिस्तान में डूबेगी।
बनारस में कई दिन गुज़र चुके है
खाली कर आया हूँ मैं
अपना सन्ताप गंगा में
मैंने होम दिए अपने कुछ पुण्य कर्म
दशाश्वमेध घाट की आरती में
यहां की गलियों के मंदिरों में जा
मैंने कर लिया पश्चाताप अपने कर्मों का
मैंने जलाई है अपनी एक उम्र
मणिकर्णिका के घाट पर।
अब जो बचा हूँ मैं
उसे तेरी यादों के जंगल में
सन्यासी सा भोगूंगा मैं।
इस जंगल का अंत .. और
मेरी मृत्यु का साक्षी रहेगा .. थार।
मेरी उम्मीद का सूरज यहां सदैव चमकेगा
डूबेगा नहीं .. ! ये मैं तब जान लूँगा .. जब
बौनी हो जाएंगी .. मेरी तृष्णा की जलकुंभी।
और तब
मेरे प्रेम की लिली
तुम्हारे आँगन में खिलेगी।-
जो कुछ भी माँगना है वो रब से ही माँगो
ज़म्बील से सैन्टा के तो कौड़ी ना मिलेगी-
"कितनी बारिश हुई तुम्हारे यहाँ?"
पूछा थार ने चेरापुंजी से।-
जल भरने को जाती
कोमलांगी स्त्रियां
सुदूर थार
करके हर अड़चन पार
प्यास जो बुझानी है
जल भरके ही लानी है
भूगर्भ में समा चूके जल
और खड़ी उपर स्त्री स्थल
दोनों में युद्ध होता है
कोमलांगी स्त्रियां विरांगना
बनकर लड़ती है
तब जाकर एक गगरी
जल भरती है
युद्ध जीतकर
घर आती है विरांगना
छलकाने अमृत घर अंगना..-