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जंगल में
भूखे हैं तेंदुए
पसार दो उनके सामने मकई और भुट्टे
लगा दो छीमियों का ढेर
नर-भक्षी तेंदुए गुर्रायेंगे-दहाड़ेंगे
पर तेंदुए ही बने रहेंगे.....
भूखे हैं आदमी
रख दो उनके सामने तीतर-बटेर
परोस दो सुअर मच्छी केकड़ा कुछ भी
देर नहीं लगेगी—
आदमी के दाँत, जीभ और जबड़े
भेड़िये के पंजों में बदल जायेंगे...
आदमी बाघ है
नहीं नहीं असल में आदमी घाघ है...।-
चिरैयाटांड़ पुल से रेलवे लाइन की तरफ झांकते लोगों की भीड़ में हल्ला था कि रेलवे ट्रैक के किनारे कोई जानवर दिखा है। शायद तेंदुआ, अब नहीं दिख रहा, झाड़ियों में गुम हो गया। राहगीर भीड़ देखकर रुक जाते और तेंदुआ का नाम सुनते ही एक झलक पाने के लिए पुल से नीचे देखने लगते। देखते-देखते भीड़ हो गई और भयानक सड़क जाम। जिन दो लड़कों ने पहली बार देखा था उन्होंने कहा था कि वह धारीदार था और उसके नुकीले दांत थे।
ऑफिस का समय था। पुलिस प्रशासन और वन अधिकारियों की पुष्टि के बाद ही जाम हटा। कई लोगों के ऑफिस छूटे तो कइयों की जेबें कटीं। उसने कसम खा ली कि अब ऑफिस जाने के लिए वह दूसरा रास्ता अख़्तियार करेगा, चिरैयाटांड़ पुल की तरफ से कभी नहीं।
कुछ महीनों बाद राजेंद्रनगर फ्लाईओवर से गुजरते वक्त उसे लोगों की भीड़ दिखी। कुछ लड़के नीचे रेलवे ट्रैक की तरफ उंगलियों के इशारे से देख रहे थे। उन्हें देखते हुए देखकर लोग जुड़ते गए। उसे चिरैयाटांड़ पुल वाली घटना याद हो आई। उसने उतर कर पूछा,'तेंदुआ है क्या?'
कुछ ही देर में पुलिस आ गई और उसे थाने चलने के लिए कहा।
तेंदुआ की कहानी गढ़ भ्रम फैलाकर मज़मा इकट्ठा करने और पाकेटमारों को जेबें काटने में सहूलियत देने के जुर्म में उसे छह महीने की सज़ा सुनाई गई।-
घास पत्ते, बांस बल्ली
सब जुटा कर बांध ली।
घर भले ही बन ना पाए
झोंपड़ा तन जाएगा।।
ऊंची नीची, आड़ी तिरछी,
लम्बी चौड़ी छोड़िए।
शेर ना बन पाएगा तो
तेन्दुआ बन जाएगा।।-
आत्मविश्वासी होना
और घाघ होना
दोनों दो बातें है
समझने को स्वयं
तू कुछ भी समझ
तू शेर है चीता है
तेंदुआ है बाघ है
मैं तो इतना जानता हूँ
आत्मविश्वासी नहीं है तू
तू झूठा है
तू घाघ है-