_राज सोनी-
सजल जीवन की सिहरती धार पर,
लहर बनकर यदि बहो, तो ले चलूँ
यह न मुझसे पूछना, मैं किस दिशा से आ रहा हूँ
है कहाँ वह चरणरेखा, जो कि धोने जा रहा हूँ
पत्थरों की चोट जब उर पर लगे,
एक ही "कलकल" कहो, तो ले चलूँ
मार्ग में तुमको मिलेंगे वात के प्रतिकूल झोंके
दृढ़ शिला के खण्ड होंगे दानवों से राह रोके
यदि प्रपातों के भयानक तुमुल में,
भूल कर भी भय न हो, तो ले चलूँ
-
💏हर सुहागन की पहली ख्वाइश 💏
💕----------------------------------------------💕
* जब ये साँसें मुझे छोड़कर जाने लगे *
* तेरी बाँहों मे दम मेरी निकले पिया ,*
* अपनी आँसू का एक कतरा न बहाना *
* कसम है मेरे प्यार की तुझको पिया ,*
💕👉( ❤Read full in caption ❤ )👈💕-
तुमको पाकर प्रिये हम कुंदन हुए
वन तुमसे मिले तो उपवन हुए,
तेरे स्पर्श से ख़िलते हैं हम फ़ूल सा
जीवन प्राण से तेरे यह चुम्भन हुए,
साथ साये सी है मुझमें तेरी हँसी
कई उलझनें हुई कई रुन्दन हुए,
इस शज़र में कहाँ थी ख़ुश्बू कोई
तेरे आलिंगन से ही यह ख़ार चंदन हुए,
इस रूह में तू ही होगी हर बार प्रिये
हर जन्म के यह तुझसे बंधन हुए,
तुमको पाकर प्रिये हम कुंदन हुए..;-
युवावस्था में कितना भी मन लगाओ पढ़ाई में
ध्यान भटक ही जाता है♥️♥️
अगर मिल जाये एक अच्छा जीवनसाथी
तो बुढ़ापा भी सुख से गुजर जाता है😄-
ये लड़कीया भी, आजकल की कमाल करती है,
प्यार में नाजाने कैसे-कैसे सवाल करती है,
कितना भी कुछ कर दो, मोहब्बते इजहार में,
पर ये छोटी-छोटी, गलती पर भी बवाल करती है।-
इश्क की दुनिया में भी ,
तुने रिहाई दी है ,
क़ैद दी है बाहों की
और गगन में उड़ने की आजादी दी है ....!!!
भरोसे के धागे पर
उड़ना सिखाया है
हां तुने इस क़दर ,
मुझे और मेरे ख्वाबों को अपनाया है .....!!!!
सहारा नही ताकत बना है
हां तू इस तरह भी ,
मेरी जरूरत बना है .....!!!!!
वफ़ा के काजल में ,
तुने निडरता दी है
हां तुने मेरे हाथों की चूड़ियों में
जहां से लड़ने की ताकत दी है .....!!!!!
पैरों में बांध के पायल को
सच्चाई की डगर दी है
हां तुने सौलाह-श्रृंगार में बांधकर भी
एक सच्चे जीवनसाथी की पहचान दी है .....!!!!!-
दिल से दिल मिलाकर देखा ,
नैनों से नैन मिलाकर देखा ....
तुमसे थोड़ा दूर जाकर देखा ,
थोड़ा सांसो के करीब आकर देखा .....
अकेली शाम में तुम्हें गुनगुनाकर देखा ,
इन रातों में तुम संग आशियाना देखा ....
सांसो की हलचल में बैचेनी को देखा ,
तुम बिन अपना अधुरे वजूद को देखा .....
तेरी मंजिल में अपने सफर को देखा ,
राहों में तुम्हारे कदमों के साथ को देखा ....
मेरी मांग में तुम्हारे नाम का सिंदूर देखा ,
तेरी इन बांहो में अपनी वफा को मचलता देखा ....-
चढ़ा है रंग ,
तुम्हारी मोहब्बत का चेहरे पर मेरे ......
मौसम के ये चंद रंग ,
क्या रंगेंगे मेरी सांसों को .....
तुम्हारी वफा के गुलाल से ,
रंगी है रुह मेरी ....
अब किस रंग के बस में है ,
जो उतारें तुम्हारी वफा का पेहरा .....-