हमारी और उनकी मोहब्बत तो रूमानी है..
बस ये वक्त बेवक्त, छत्तीस का आंकड़ा बनाए हुए हैं..-
कहने को तो हम मे
छत्तीस का आंकड़ा है
मगर मुसीबत के वक्त
एक हम और एक तुम
मिलकर ग्यारह हो ही जाते हैं
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दिल की उम्मीदों पर देखो, मैं कभी ख़रा ना उतर पाया।
उसके और मेरे बीच सदा, ये छत्तीस का आंकड़ा ही रहा।
वो मुझसे रोज़ ये कहता था, तुम सिर्फ मेरे कहने पे चलो।
मैं दिन को बोलूँ रात अगर, तो तुम भी उसको रात कहो।
लेकिन मेरी थी मजबूरी, मैं फर्ज़ के हाथों में था बिका।
चाहे खुद चाहूँ ना चाहूँ, पर साथ में सबको लेके चला।
उसके और मेरे बीच सदा, ये छत्तीस का आंकड़ा ही रहा।।-
आज वो गले मिले जिन से छत्तीस का आंकड़ा था
मुझे याद नहीं उनसे किस बात पर मेरा झगड़ा था
कभी हम एक दूसरे को देखकर खूब मुस्कराते थे
एक दूसरे के साथ जीवन के मधुर ख्वाब सजाते थे
जाने क्या बात हुई हमे समझ कुछ भी नहीं आया
जब हमे देख उन्होंने अपनी नजरों को छिपाया
हमें देखकर वो रास्ते बदल कर दूर निकल जाते थे
हम उनके इस व्यवहार पर हतप्रभ रह जाते थे
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