समय कुछ पल के लिये ठहर जाता है
जब बाबाजी का चैलेंज आता है-
सुनो!
मेरी मां दामाद नहीं बेटा चाहती है
मेरी मां के बेटे बनपाओगे क्या!
प्यार है तुम्हें मुझ से तो मेरे लिए
सिर्फ इतना कर पाओगे क्या?-
दर्द मेरा मकतब है,
है मोअल्लिम वक़्त मेरा,
ख़ुदा ने कुछ यूँ दी पुख़्तगी,
कर दिया तलाश-ए-इल्म सख़्त मेरा।
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मित्र- अरे! अमर ये अपनी में प्रोफाइल ब्लैक एंड वाइट फोटो अपलोड करना चैलेंज कैसे है ? 🤔
मी- देखिए यह एक प्रकार का 'मनोरोग' है जो सू-सू मीडिया पर तेज़ी से फ़ैल रहा और सबसे अधिक चिंताजनक बात तो यह है कि इसके इलाज के लिए अभी तक कोई अस्पताल ही नहीं बना है।
बस इसी प्रकार की बीमारी से निजात दिलाने के लिए सरकार
मोबाइल ऐप्स बैन कर रही।😂🙏-
भारत मे असली चैलेंज तो,
बढ़ती बेरोजगारी गिरती जीडीपी,
नाकाम शिक्षा और सोशल मीडिया का फर्जी ज्ञान
साथ ही राजनैतिक उठा पटक का है।
क्या कोई इस पर भी बात करेगा?-
जब कि अपने ही हमे ठुकराते है.
गलत तो हर किसीका निकल जाता
है. पर कोई उसे समझ भी पाए.
सचमुच दिलसे निकल जाते है लोग..
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गणतंत्र हो गया देश मेरा
हिस्सा छीन कर गण का
संप्रभु नेता हुए हैं,जनता
को अब भी इंतजार है ..
कि राज उसका आए
ख़ास नेता नहीं जनता
होगी जब,असल मे देश
गणतंत्र होगा तब..
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वक्त के पन्ने से एक पन्ना बदल गया
फिर एक दिसंबर गुजर गया
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
तमाम यादें जुड़ी तमाम बातें हुई
तमाम गमों में वक्त ढल गया
फिर एक दिसंबर गुजर गया
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
तमाम रिश्ते, तमाम अपने
तमाम बातें, तमाम सपने
सुलझते उलझते रह गया
फिर एक दिसंबर गुजर गया
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
क्या प्रारंभ, क्या अंत
क्या ग्रीष्म, क्या बसंत
सब डरे सहमे सह गया
फिर एक दिसंबर गुजर गया...
Continued down below-
यह तुमने ही कहा था कि
सफर दूर का है साथ चलो तुम
और उस सफर पर गए भी हम
पर तुम्हीं उस सफर में
अपने हमसफ़र को छोड़ चली
किसी और के सफर पर।-