छप्पनभोग की थाली में भी मानों कमी रह जाती है,
अब घर जाऊँ तो दाल-रोटी भी मुझें बहुत भाती है,
कहने को सब है, फिर भी ये चार दिवार मुझें बड़ा सताती है,
घर से दूर रहकर अब, मुझें बस घर की याद आती है।।-
जन्मभूमि से दूर जाते वक़्त मन को समझाने का प्रयास
रे मन क्यों अस्थिर हो चला
क्यों विचलित इतना हो चला,
मातृ भूमि को छोड़ कर
तू कर्मपथ की ओर चला।
भावनाएं और संवेग सभी
साध इसे बनकर सुदृढ़,
मंजिलें बुलाती है तुझे
अतीत से तू आगे बढ़।
सुख प्रेम की राहें छोड़ कर
कर्मठता की तू आेर चला,
हैं क्षणिक सुख शांति सब
इस सत्य को तो जान चला।
भावों की निर्बलता मेे
क्यों तू ख़ुद को घेरे है,
शक्ति धारण कर ले अब
तू अपने लक्ष्य की ओर चला।-
दुनिया के किसी कोने में
चले जाओ
मगर
जो सुकून घर में है
वो कही नहीं-
क्यों भाग्य की राहें इतनी निष्ठुर
विचलित मुझे ये करती हैं
कर्तव्य पथ से भय नहीं
क्यों अपनों से दूर ये करती हैं
अपने आत्मीय जनों से भी
मिलन को ये तरसाती है
प्रेम की राह को छोड़ कर
भ्रम द्वेष की राह चलाती है
क्यों भाग्य की राहें इतनी निष्ठुर
विचलित मुझे ये करती हैं...
बार बार स्मृतियां मुझे
स्वजनों की याद दिलाती है
जीवन की थकावटें मुझे
बस घर की याद दिलाती है
कुछ पाने को कुछ खोना पड़ता
है कैसा नियम विधाता का
सुख वैभव खुशी से त्याग भी दूं
अपनों का त्याग कराती है
क्यों भाग्य की राहें इतनी निष्ठुर
विचलित मुझे ये करती हैं..-
यादों मे मेहक रही है,उस घर की गलियाँ !
जिसमे दौड़ती थी बचपन की ख़ुशियाँ !
सड़कें बुलाती है,जिसमे चली थी मस्तियाँ !
गुफ्तगू थी ,वो आपस मे दूसरों की चुगलियाँ !
हरकतों मे थी,बातों की बड़ी बदमाशियाँ !
हंसी मे बजती,गलतियों की भरी तालियॉँ !
चुपके थी अकेले मे हर किसी की तनहाईयाँ !
कहने को सबमें थी ,भर भर के नादानियाँ !
शरारत भरी हाथों मे ,वो कई गलतियाँ !
जिसमे शामिल थी, हज़ारों लोगों की गालियाँ !
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वक्त
वक्त भी बड़ा बलवान है
जब घर जा सकते थे तब गए नहीं
अब जाना चाहते हैं तो जा नहीं सकते
एक कमरे में अब जिंदगी कट रही है
घर की उतनी ही याद आ रही है
ये वक्त जरा पीछे फिर से मुड़ जा
हम भी अपने घर लौट जाए
और तू फिर आगे बढ़ जाना।-
अपने ही घर को अब प्यार करो !!
अकेले बैठो और बंद किवाड़ करो !!
इक़ वायरस का हर तरफ खौफ़ है
खुद को लड़ने के लिए तैयार करो !!
दिए गए निर्देशों का भी पालन करो
अब हर दिन को ही इतवार करो !!
इन अफवाहों से भी खुद बचना और
खुद के साथ सबपे उपकार करो !!
कुछ दिन की बात है सब्र कर लो ज़रा
खुद औऱ परिवार का बेरा-पार करो !!-
होली आई ढेर सारी खुशियां लाई
मिल के सब रंग लगाते हैं
झूमते और नाचते गाते हैं।।-